पाबंदियों के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही ईद, राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने दी बधाई

कोरोना वायरस के संक्रमण और देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच आज देश और दुनिया भर में ईद-उल-फित्र का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। पढिये, ईद से जुड़ी डाइनामाइट न्यूज की यह खास रिपोर्ट..

Updated : 25 May 2020, 9:02 AM IST
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नई दिल्ली: कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते दुनिया भर में इस बार सोशल डिस्टेंशिंग के पालन के साथ ईद का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। कल रविवार को ईद का चांद दिखाई दिया था जिसके बाद आज सोमवार को लोग सोशल मीडिया के जरिये एक-दूसरे को ईद की मुबारक बात दे रहे हैं। दुनिया और देश भर के मौलानाओं और उलेमाओं की तरफ से भी कई संदेश जारी किये गये हैं, जिनमें घर में ही ईद की नमाज़ पढ़ने की अपील की गई है।

ईद के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार की सुबह देशवासियों को मुबारकबाद दी है। उन्होंने ट्वीट करके अपने संदेश में लिखा 'ईद मुबारक, ईद-उल-फितर की बधाई। इस विशेष अवसर पर करुणा, भाईचारे और सद्भाव की भावना को आगे बढ़ाएं। सभी लोग स्वस्थ और समृद्ध रहें।'

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी ईद की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संदेश में लोगों से कहा कि सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने का संकल्प लें और कोरोना वायरस की चुनौती से जल्द पार पाने व सुरक्षित रहने के लिए अन्य सभी एहतियात बरतें। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'यह त्योहार प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव की अभिव्यक्ति का है। इस मौके पर हम समाज के सबसे कमजोर वर्गों के साथ चीजों को साझा करने और उनकी देखभाल में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं। 

ईद का त्योहार रमज़ान का महीना पूरा होने पर मनाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना की वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के चलते ईद मनाने और नमाज अता करने के तौर-तरीके पहले से थोड़ा अलग हैं। कोरोना संकट के कारण सभी तरह के धार्मिक स्थल बंद हैं और सोशल गैदरिंग को प्रतिबंधित किया गया है। इसलिये मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की इजाजत नहीं है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश भर के मौलानाओं और उलेमाओं की तरफ से भी कई संदेश जारी किये गये हैं, जिनमें घर में ही ईद की नमाज़ पढ़ने की अपील की गई है। साथ ही ईद पर गले न मिलने और सोशल मीडिया के माध्यम से मुबारकबाद देने की भी अपील की गयी है। 

दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश, इंडोनेशिया ने लगभग 22,000 संक्रमण और 1,350 जानलेवा हमले किए हैं, जो दक्षिणपूर्व एशिया में सबसे अधिक हैं। तालाबंदी के आदेशों में महामारी को शामिल करने का मतलब है कि मस्जिदों या खुले मैदानों में कोई भी सामूहिक प्रार्थना नहीं होगी, कोई परिवार का पुनर्मिलन नहीं होगा और बच्चों के लिए उपहार देने वाले कोई रिश्तेदार नहीं होंगे।

Published : 
  • 25 May 2020, 9:02 AM IST

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