दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी से जुड़ा अवमानना मामला बंद किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में अपने तत्कालीन न्यायाधीश एस मुरलीधर के खिलाफ कथित टिप्पणियों को लेकर कई लोगों के खिलाफ शुरू किया गया अवमानना मामला बुधवार को बंद कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में अपने तत्कालीन न्यायाधीश एस मुरलीधर के खिलाफ कथित टिप्पणियों को लेकर कई लोगों के खिलाफ शुरू किया गया अवमानना मामला बुधवार को बंद कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अवमाननापूर्ण सामग्री की ‘शुरुआत करने वालों’ द्वारा माफी मांगे जाने के उन्हें बरी कर दिया गया और उसके उपरांत लेखक आनंद रंगनाथन सहित अन्य पक्षों के खिलाफ लंबित कार्यवाही 'अदालत के समय की बर्बादी' है।

पीठ ने इस मामले से जुड़ी कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति मनोज जैन भी शामिल थे।

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और पिछले साल वह उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 2018 में उन्होंने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद गौतम नवलखा की रिहाई का आदेश दिया था। उसके बाद उनके खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाते हुए कुछ ट्वीट किए गए थे।

उच्च न्यायालय ने उन ट्वीट के बाद आपत्तिजनक लेख के प्रकाशक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति, फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री और अन्य के खिलाफ स्वयं ही अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।

उच्च न्यायालय ने 2018 में वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव से एक पत्र मिलने के बाद आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी।

पक्षपात का आरोप लगाने वाले एक लेख के बाद न्यायमूर्ति मुरलीधर के खिलाफ ट्वीट के लिए चेन्नई स्थित साप्ताहिक पत्र 'तुगलक' के संपादक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति के खिलाफ भी अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की गई थी।

आपत्तिजनक लेख के लेखक द्वारा मांगी गई माफी को दोबारा ट्वीट करने पर सहमत होने के बाद अक्टूबर 2019 में गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बंद कर दी गई थी।

आपत्तिजनक लेख के लेखक देश कपूर ने अगस्त 2019 में अदालत से माफी मांग ली थी और आपत्तिजनक सामग्री हटा ली थी। अदालत ने पिछले साल अग्निहोत्री की माफी भी स्वीकार कर ली थी और उन्हें बरी कर दिया था।










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