Crime In UP: फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने फर्जी वेबसाइट बनाकर जाली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश कर बुधवार को उसके तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी


लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने फर्जी वेबसाइट बनाकर जाली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश कर बुधवार को उसके तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध) त्रिवेणी सिंह ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि वाराणसी की साइबर अपराध पुलिस ने फर्जी वेबसाइट बनाकर उसके जरिए जाली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

उन्होंने बताया कि पकड़े गए अभियुक्तों के नाम अफजल आलम, सुशील कुमार और मोहम्मद इरशाद हैं। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने पूछताछ में बताया है कि वे अब तक हजारों लोगों को ठग चुके हैं।

सिंह ने बताया कि कई दिनों से ऐसी शिकायत मिल रही थी कि पेंशनभोगी लोगों को बहला-फुसलाकर उनके खाते से पैसे निकाले जा रहे हैं और मामले की जांच के दौरान पता लगा कि यह गिरोह पूरे देश में काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिससे फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनाए जा सकते हैं।

उन्होंने बताया कि इन फर्जी दस्तावेजों में मतदाता पहचान पत्रों, आधार कार्ड और पैन कार्ड का नंबर तो सही होता है लेकिन नाम एवं पता गलत होता है।

उन्होंने बताया कि अभियुक्त अलग-अलग तरीकों से इनका दुरुपयोग करते थे। सिंह ने बताया कि ये लोग बैंक में खाता खुलवा कर तरह-तरह की आईडी बना लेते थे। बाद में पता चला कि इस तरह की दर्जनों वेबसाइट संचालित की जा रही हैं।

सिंह ने बताया कि इन वेबसाइट तक पहुंच पैसा देकर मिलती है।

उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास किसी का आधार कार्ड या पैन कार्ड का नंबर है, तो वह उसे उसमें डाल कर कोई भी बदलाव करवा सकता है।

सिंह ने बताया कि इस गिरोह के कुछ लोग टेलीग्राम और व्हाट्सऐप के जरिए काम करते हैं और उन्होंने जगह-जगह से डेटा लेकर एक डेटाबेस बनाया है, जिसमें लोगों का पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार नंबर है।

सिंह ने बताया कि ये लोग इस सॉफ्टवेयर का प्रचार बड़े-बड़े यूट्यूबर्स के चैनल के जरिए कराते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पर अपना कार्ड बना लें, लेकिन लोगों को पता नहीं होता कि उनका कार्ड फर्जी बन रहा है।

सिंह ने बताया कि इससे पहले इसी मामले में नौ लोगों को जेल भेजा गया था और तीन लोगों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि अभी करीब 25 और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।

सिंह ने बताया कि गिरफ्त में आए अभियुक्तों के पास से अनेक इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किए गए हैं।










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