Uttar Pradesh: मथुरा के 23 साल पुराने जातीय संघर्ष में कोर्ट का फैसला, 15 दोषियों को उम्र कैद, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

मथुरा में 23 वर्ष पहले 2001 में जातीय संघर्ष के सिलसिले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 15 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास तथा 73-73 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कोर्ट ने 23 साल पुराने मामले में सुनाया फैसला
कोर्ट ने 23 साल पुराने मामले में सुनाया फैसला


मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के हाईवे थाना के दतिया गांव में 23 वर्ष पहले 2001 में एक पंचायती भूखण्ड को लेकर हुए जातीय संघर्ष के सिलसिले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 15 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास तथा 73-73 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है।

विशेष लोक अभियोजक सुरेश प्रसाद शर्मा ने बृहस्पतिवार को बताया कि थाना हाईवे (जो तब नरहौली थाने के नाम से जाना जाता था) के गांव दतिया में 23 जनवरी 2001 की सुबह सात बजे के करीब, पंचायती भूखण्ड पर सवर्ण पक्ष की ओर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया था।

शर्मा ने बताया कि इस निर्माण कार्य का अनुसूचित जाति के लोगों ने विरोध किया था, जिसने जातीय संघर्ष का रूप ले लिया था। उन्होंने बताया कि दलित पक्ष के होरीलाल ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था।

उन्होंने कहा कि आरोप था कि सवर्ण पक्ष ने गांव में मारपीट की, गोलियां चलायी और आगजनी की, जिसमें अनुसूचित जाति के राजेंद्र सिंह की जांघ में गोली लगी। वहीं, छह माह की बच्ची गुड़िया अपनी झोपड़ी में जिंदा जलकर मर गई।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पुलिस ने तहरीर के आधार पर 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। उन्होंने बताया कि इस मामले में पहले पुलिस क्षेत्राधिकारी (सदर) ने जांच की, लेकिन बाद में यह जांच अपराध शाखा-गुप्त जांच विभाग (सीबीसीआईडी) आगरा भेज दी गई। विवेचना में आठ और आरोपियों के नाम सामने आए। एक-एक कर दो चार्जशीट दाखिल किये गये। हालांकि, आरोपी पक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सुनवाई के मामले पर स्थगन आदेश ले लिया ।

शर्मा ने बताया कि बाद में जब स्थगनादेश हटा और 2021 में मामले की सुनवाई में तेजी आई तो 25 जनवरी 2024 को इस मामले में बहस और साक्ष्य पूरे हुए।

लंबी सुनवाई के बीच इस मुकदमे के नौ आरोपियों की मौत हो गई जबकि बाकी के 15 आरोपियों को बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) मनोज कुमार मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास एवं प्रत्येक पर 73-73 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया है।

इन सभी के खिलाफ भादंवि की धारा 302 (हत्या) में आजीवन कारावास व 25 हजार रुपए जुर्माना, एससी/एसटी एक्ट में आजीवन कारावास व 25 हजार रुपए जुर्माना, भादवि की धारा 307 (जानलेवा हमला) में 10 साल की कैद व 10 हजार रुपए जुर्माना, भादवि की धारा 436 (गृह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा) में 10 वर्ष की कैद व 10 हजार रुपए जुर्माना तथा भादवि की धारा 148 (घातक हथियार सहित आक्रामक होना) में 3 साल की कैद व 3 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है।










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