Tamil Nadu: कोर्ट ने मौत के 26 साल के बाद दिया इंसाफ, डीएसपी समेत 9 लोगों को उम्रकैद

तूतीकोरिन की एक कोर्ट ने एक युवक की मौत के 26 साल बाद बड़ा फैसला सुनाया है। पढ़िए डायनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 6 April 2025, 10:28 AM IST
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तमिलनाडु: तूतीकोरिन के एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को वर्ष 1999 में पुलिस हिरासत में हुई मौत के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अदालत ने पुलिस विभाग के डीएसपी स्तर के अधिकारी समेत 9 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में विंसेंट नामक एक व्यक्ति की मौत से जुड़ा था, जो थलामुथु नगर पुलिस स्टेशन में हिरासत में था। 

मामला क्या था?

यह मामला 1999 का है, जब विंसेंट नामक व्यक्ति को पुलिस ने थलामुथु नगर पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया था। उसके बाद उसकी मौत हुई थी। जिसे हिरासत में मौत के रूप में दर्ज किया गया। प्रारंभ में यह मामला संदिग्ध था और इसे लेकर कई सवाल उठे थे। विंसेंट की मौत के बाद उसके परिवार और समाज में इस घटना को लेकर तीव्र आक्रोश पैदा हो गया था। न्याय की मांग की जा रही थी। 

अधिकारियों के खिलाफ कई आरोप

विंसेंट की मौत के बाद कई सवाल उठे थे कि पुलिस ने उसे किस स्थिति में रखा और उसके साथ कौन सी अमानवीय कार्रवाई की, जिससे उसकी जान चली गई। इस मामले ने सार्वजनिक ध्यान आकर्षित किया और अधिकारियों के खिलाफ कई आरोप लगाए गए।

अदालत का फैसला

तूतीकोरिन जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने इस मामले में शनिवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने 11 आरोपियों में से 9 को दोषी ठहराया और डीएसपी स्तर के अधिकारी समेत उन नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनमें से एक इंस्पेक्टर और एक अन्य व्यक्ति को दोषी ठहराया गया, जबकि दो आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया। अदालत ने इन दोषी ठहराए गए लोगों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला पुलिस और न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार और गलत आचरण को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देने वाला था। 

अदालत ने क्यों सुनाया यह फैसला?

तूतीकोरिन जिले के इस मामले में अदालत ने यह फैसला सुनाया कि पुलिस अधिकारियों ने विंसेंट के साथ अमानवीय व्यवहार किया, जो उसकी मौत का कारण बना। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए यह संदेश दिया कि न्याय व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गलत कार्रवाई और अधिकारों का उल्लंघन नहीं बर्दाश्त किया जाएगा।