अदालत ने दो व्यक्तियों को पुलिस दल पर हमला करने, गोली चलाने के आरोप से बरी किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली की एक अदालत ने दो व्यक्तियों को 2018 में एक छापेमारी टीम द्वारा उन्हें पकड़ने की कोशिश के दौरान एक हेड कांस्टेबल की हत्या के प्रयास के अलावा, अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनके कार्य में बाधा डालने के आरोपों से बरी कर दिया है।

पुलिस दल पर हमला (फाइल)
पुलिस दल पर हमला (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने दो व्यक्तियों को 2018 में एक छापेमारी टीम द्वारा उन्हें पकड़ने की कोशिश के दौरान एक हेड कांस्टेबल की हत्या के प्रयास के अलावा, अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनके कार्य में बाधा डालने के आरोपों से बरी कर दिया है।

अदालत ने पुलिस गवाहों की गवाही में 'कई विरोधाभासों' का उल्लेख किया और कहा कि अभियोजन पक्ष की कहानी 'तर्क के अनुरूप नहीं है।'

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन पिंटू और प्रदीप के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिन पर पुलिस टीम के सार्वजनिक कार्य में बाधा डालने के अलावा उन पर हमला करने और एक पुलिस अधिकारी की हत्या का का प्रयास करने का आरोप था।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी हत्या के एक मामले में भगोड़े थे और एक छापेमारी दल ने जब एक गुप्त सूचना के आधार पर 10 जनवरी, 2018 को द्वारका चावला रोड पर उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बाधित किया और हेड कांस्टेबल पर गोलियां चलायीं।

एएसजे मनन ने एक हालिया फैसले में कहा, ‘‘जैसा कि आरोपपत्र में बताया गया है, कहानी तर्क के अनुकूल नहीं है। तदनुसार, आरोपी पिंटू और प्रदीप को बरी किया जाता है।’’

अदालत ने कहा कि घटना की जगह के संबंध में छापेमारी टीम के सदस्यों की गवाही में 'भौतिक विरोधाभास और विसंगतियां' हैं।

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अदालत ने कहा कि दोनों अलीपुर पुलिस थानाक्षेत्र में हत्या के एक मामले में शामिल थे, लेकिन अभियोजन पक्ष ने इसके संबंध में प्राथमिकी प्रस्तुत नहीं की, न ही पुलिस थाने को दोनों के संबंध में गुप्त सूचना के बारे में सूचित किया गया था।

अपराध शाखा ने दोनों के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के अलावा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें धारा 307, 353 और 186 शामिल थी।

 










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