देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने बताया अंतरिक्ष से धरती पर आने का खास अनुभव, कहा-‘स्वर्ग’ का दोहन न करें

डीएन ब्यूरो

अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा ने कहा है कि प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को धरती पर लौटने के बाद पृथ्वी की नाजुकता का एहसास होता है और लोगों को इस ‘‘स्वर्ग’’ को इसके संसाधनों का जरूरत से अधिक दोहन कर ‘‘बर्बाद’’ करना बंद करना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा
अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा


कोलकाता: अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा ने कहा है कि प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को धरती पर लौटने के बाद पृथ्वी की नाजुकता का एहसास होता है और लोगों को इस ‘‘स्वर्ग’’ को इसके संसाधनों का जरूरत से अधिक दोहन कर ‘‘बर्बाद’’ करना बंद करना चाहिए।

शर्मा ने कहा कि लोगों को रहने के लिए पृथ्वी के अलावा किसी अन्य स्थान की तलाश करने से पहले वहनीयता को सीखना चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने यहां संग्रहालय का उद्घाटन करने के बाद संवाद सत्र में हिस्सा लेते हुए कहा, ‘‘लगभग हर अंतरिक्ष यात्री हमारे ग्रह की नाजुकता के एहसास के साथ वापस आता है... यहीं (अंतरिक्ष में) आपको वृहद तस्वीर देखने को मिलती है... कि हमारी पृथ्वी सिर्फ एक हल्का नीला बिंदु है।’’

पूर्व विंग कमांडर 74 वर्षीय शर्मा ने कहा, ‘‘इसलिए, जो स्वर्ग हमारे पास है, उसको बर्बाद करने के बजाय, मैं वहनीयता सीखने को प्रेरित करूंगा, ताकि कहीं अन्य जगह बसने से पहले इसे नरक बनाने की जल्दबाजी नहीं की जाए .... दुर्भाग्य से, बहुत से लोग इसके बारे में बात नहीं कर रहे हैं, यहां तक ​​​​कि जो अंतरिक्ष से लौटते हैं, वे भी।’’

शर्मा अप्रैल, 1984 में प्रक्षेपित किए गए सोवियत संघ के ‘सोयुज टी-11’ अभियान का हिस्सा थे। वह अंतरिक्ष में जाने वाले पहले और एकमात्र भारतीय हैं।

वह यहां भारतीय अंतरिक्ष भौतिकी केंद्र के परिसर में खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन करने आए थे।

अपने संबोधन में शर्मा ने सभी हितधारकों से ग्रह की सुरक्षा के लिए अधिक टिकाऊ होने के तरीकों पर गौर करने का आग्रह किया।

शर्मा ने कहा, ‘‘पृथ्वी के पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन उनका व्यय अनुकूल नहीं है। हमारे पास संसाधन खत्म होते जा रहे हैं और हम इस ग्रह को बर्बाद कर रहे है जो जहां तक दूरबीनें हमें बता सकती हैं, उसमें एकमात्र जीवन योग्य स्थल है।’’

उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र को सरकार ने निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है, जिसने इसका ‘पूरे दिल से’ से स्वागत किया है और स्टार्टअप ‘फलना फूलना’ शुरू हो गए हैं।










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