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Waqf Amendment Bill: लोकसभा में वक्फ विधेयक 2024 पर गरमाई सियासत, विपक्ष ने जताया विरोध; जानिये क्या है वजह

लोकसभा में वक्फ विधेयक 2024 पर सियासत गरमा गई है। ऐसे में विपक्ष ने इसका विरोध किया है। इस बिल का विपक्ष विरोध क्यो कर रहें है जानने के लिए पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Waqf Amendment Bill: लोकसभा में वक्फ विधेयक 2024 पर गरमाई सियासत, विपक्ष ने जताया विरोध; जानिये क्या है वजह

नई दिल्ली। मुस्लिम संगठन जिस बिल का लंबे समय से विरोध कर रही है आज वो बिल लोकसभा में पेश होने जा रहा है। बता दे कि,  वक्फ बिल 2024 आज लोकसभा में पेश होने जा रहा है। ऐसे में इस बिल को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जिसके चलते कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है और आरोप लगाया है कि बिल की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने विपक्षी सांसदों के सुझावों पर विचार नहीं किया है। साथ ही उनका कहना है कि सरकार इसे जल्दबाजी में लागू करना चाहती है। भाजपा और कांग्रेस समेत सभी प्रमुख दलों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने और बिल पर चर्चा में हिस्सा लेने का निर्देश दिया है।

लोकसभा में बहस और संख्याबल

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, लोकसभा में वक्फ बिल पर बहस के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर समय बढ़ाया भी जा सकता है। अगर यह बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। संख्याबल के आधार पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी  को इस बिल पर बढ़त मिलती दिख रही है। लोकसभा में भाजपा के 240 सांसद हैं, जबकि उसके प्रमुख सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के क्रमश: 16 और 12 सांसद हैं। अन्य सहयोगियों को मिलाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 295 से अधिक वोट मिलने की संभावना है, जो बहुमत के 272 के आंकड़े से काफी अधिक है। वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगियों के पास करीब 234 वोट हैं।

एनडीए सहयोगियों पर दबाव

भाजपा के प्रमुख सहयोगी खासकर टीडीपी और जेडीयू को अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन हासिल है। विपक्षी सांसदों ने इन दलों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने विधेयक का समर्थन किया तो उन्हें राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इस बीच, प्रमुख अल्पसंख्यक संगठनों ने विधेयक की कड़ी आलोचना की है। टीडीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह विधेयक का समर्थन करेगी, जबकि उसके नेता एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि वह मुसलमानों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं, जेडीयू ने सरकार से विधेयक को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू न करने का आग्रह किया है।

विधेयक के विवादित प्रावधान

वक्फ संशोधन विधेयक को सबसे पहले पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। समिति ने इस पर विस्तृत जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी। साथ ही आपको बता दें कि, केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर रोक, जिसमें कलेक्टर संपत्ति का स्वामित्व निर्धारित करेगा। वक्फ संपत्तियों की देखरेख और प्रशासनिक अधिकारों को फिर से परिभाषित किया गया है।

मुस्लिम संगठन क्या कहते हैं?

भारत में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने धर्मनिरपेक्ष दलों से इस विधेयक का विरोध करने और इसके खिलाफ मतदान करने का आह्वान किया है। AIMPLB का कहना है कि यह विधेयक न केवल भेदभाव और अन्याय पर आधारित है, बल्कि संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। इस विधेयक पर अंतिम निर्णय लोकसभा में बहस और मतदान के बाद ही स्पष्ट होगा। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है, तो इसे अगली बार राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर और भी तीखी राजनीतिक बहस होने की संभावना है।

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