संसद एवं विधानसभाओं में ‘सुनियोजित तरीके से व्यवधान’ पैदा करने की निंदा, जानिये लोकसभा अध्यक्ष का ये बयान
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद एवं विधानसभाओं में ‘सुनियोजित तरीके से व्यवधान’ पैदा किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से असहमति दर्ज कराने से सदन की गरिमा घटती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
गुवाहाटी: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद एवं विधानसभाओं में ‘सुनियोजित तरीके से व्यवधान’ पैदा किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से असहमति दर्ज कराने से सदन की गरिमा घटती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बिरला ने कहा कि हर गंभीर मुद्दे पर राज्य विधानसभाओं और संसद में चर्चा होनी चाहिए लेकिन कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए क्योंकि लोगों को ‘‘लोकतंत्र के इन मंदिरों’’ से बहुत उम्मीदें हैं।
बिरला की टिप्पणी मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आई है। लोकसभा अध्यक्ष यहां असम विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के विधायकों, सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर सहमति और असहमति भारत के लोकतंत्र की विशेषता है।
बिरला ने कहा, ‘‘लोकतंत्र के मंदिर में हर गंभीर मुद्दे पर बहस, चर्चा, संवाद और बातचीत होनी चाहिए। लेकिन राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में कोई व्यवधान या गतिरोध नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा से बहुत सारी उम्मीदें हैं। लोग आपको बहुत उम्मीदों के साथ यहां भेजते हैं।’’
लोकसभा सचिवालय ने बाद में एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि बिरला ने लोकतंत्र को बनाए रखने और मजबूत करने में जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर जोर दिया।
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बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने सदन की कार्यवाही को बाधित करने, नारेबाजी करने, सदन में तख्तियों के अनुचित प्रदर्शन के जरिए गहन संवाद और चर्चा के बजाय जिस तरह से असहमति प्रकट की जा रही है, उस पर पीड़ा व्यक्त की।’’
बिरला ने सुनियोजित तरीके से व्यवधान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सदन की गरिमा घटती है। उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि वे विधायिकाओं को महज इमारतों के रूप में न मानें, बल्कि चर्चा और बहस के पवित्र स्थानों के रूप में मानें जहां लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाता है और लोकतंत्र की भावना को मजबूत किया जाता है।
बयान के मुताबिक बिरला ने कहा कि सभी सदस्यों को अपने राजनीतिक जुड़ाव को परे रखकर विधायी निकायों की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष ने असम के नए विधानसभा भवन को ‘‘ऐतिहासिक' बताया और कहा कि यह राज्य विधानमंडल की ‘‘नयी यात्रा’’ का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
उन्होंने कहा कि विधानसभाएं सिर्फ इमारतें नहीं हैं बल्कि विधायकों के लिए सामाजिक कल्याण के वास्ते काम करने और समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का एक पवित्र स्थान है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोगों की उम्मीदों और सपनों को पूरा करना होगा और नए रिकॉर्ड बनाने होंगे।’’
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बिरला ने कहा कि भारत ने अब तक जो प्रगति की है, वह उसके मजबूत और जीवंत लोकतंत्र के कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘हम आज कह सकते हैं कि भारत ने लोकतंत्र और जनसांख्यिकी दोनों ही दृष्टि से प्रगति की है।’’
बिरला ने कहा कि नया भवन लोगों की आकांक्षाओं और कल्याण का प्रतीक है। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने में असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई और राज्य के अन्य नेताओं के योगदान को याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनके अपार योगदान के लिए आभारी होना चाहिए और उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए।’’
असम में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के इतिहास का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि पुरानी इमारत राज्य की लोकतांत्रिक यात्रा की गवाह के रूप में खड़ी है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद से 75 वर्षों में, इमारत ने कई परिवर्तनकारी कानून देखे हैं जो चर्चा और संवाद का परिणाम थे।
दिल्ली में संसद के नए भवन से तुलना करते हुए बिरला ने कहा कि असम विधानभवन न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर असम का प्रतीक भी है।