

इन्फोसिस के चेयरमैन और सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने रविवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर चर्चित डिजिटल सार्वजनिक ढांचा आगे चलकर ‘जलवायु परिवर्तन’ को कम करने में भी मदद कर सकता है। नीलेकणि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पहले चेयरमैन हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: इन्फोसिस के चेयरमैन और सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने रविवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर चर्चित डिजिटल सार्वजनिक ढांचा आगे चलकर ‘जलवायु परिवर्तन’ को कम करने में भी मदद कर सकता है। नीलेकणि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पहले चेयरमैन हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित बी-20 शिखर सम्मेलन में नीलेकणि ने कहा कि भारत ने अपने भागीदारी मॉडल के कारण जिम्मेदार विनियमन और नवाचार के बीच एक संतुलन पाया है। उन्होंने देश के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (डीपीआई) की सफलता का उल्लेख किया।
नीलेकणि ने कहा कि भारत के डीपीआई को वैश्विक मान्यता मिल रही है और इस मॉडल को पांच साल में 50 देशों में ले जाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
कई बहुपक्षीय एजेंसियां और वैश्विक समूह आगे आ रहे हैं और रुचि दिखा रहे हैं, और अगले कुछ साल में दुनियाभर में जनसंख्या-स्तर पर डीपीआई का प्रसार और व्यापकता देखी जाएगी।
नीलेकणि ने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का दृष्टिकोण जलवायु अनुकूलन में भी मदद कर सकता है।
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