स्वच्छ वायु सर्वेक्षण : देश के 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर अव्वल

डीएन ब्यूरो

देश के सबसे साफ-सुथरे नगर इंदौर ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में शीर्ष स्थान हासिल किया है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

देश के 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर अव्वल
देश के 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर अव्वल


इंदौर (मध्यप्रदेश):  देश के सबसे साफ-सुथरे नगर इंदौर ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में शीर्ष स्थान हासिल किया है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार  अधिकारियों ने बताया कि सीपीसीबी के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 में इंदौर ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 200 में से सर्वाधिक 187 अंक हासिल किए। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में आगरा 186 अंकों के साथ दूसरे और ठाणे 185.2 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

अधिकारियों ने बताया कि सीपीसीबी ने आबादी की अलग-अलग श्रेणियों में कुल 130 शहरों द्वारा 'प्राणा' पोर्टल पर डाली गई स्व-मूल्याकंन रिपोर्ट और संबद्ध दस्तावेजों को परखने के बाद स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2023 की रैंकिंग तय की।

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में शहर के अव्वल रहने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने इंदौर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के उपायों का ब्योरा देते हुए बताया कि शहर की व्यस्त सड़कों को झाड़ू मशीन वाले उस विशेष वाहन से बुहारा जाता है जो धूल के कणों को खुद में समेटकर इन्हें वायुमंडल में मिलने से रोकता है।

महापौर ने बताया कि शहर में कोयले और लकड़ी से जलने वाले तंदूरों की तादाद सीमित करते हुए हरित ईंधनों वाले तंदूरों को बढ़ावा दिया गया है।

भार्गव ने बताया कि शहर में निर्माण और विध्वंस की गतिविधियों से निकलने वाले अपशिष्ट के संग्रहण, परिवहन और निपटान से जुड़े सभी वाहनों को तिरपाल से ढंककर चलाया जाना अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही, भवन निर्माण स्थलों को बाहर से हरी जाली लगाकर ढंकना अनिवार्य किया गया है।

इंदौर नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि शहर में हर दिन औसतन 1,162 टन ठोस कचरा पैदा होता है जिसमें करीब 164 टन प्लास्टिक अपशिष्ट शामिल है।

उन्होंने बताया कि इस कचरे को निगम की गाड़ियों के जरिये शहर के हर दरवाजे से अलग-अलग श्रेणियों में जमा किया जाता है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर चलाए जा रहे संयंत्र में उसी दिन इसका सुरक्षित निपटारा किया जाता है।

 










संबंधित समाचार