बाल अधिकार कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों ने ओटीटी मंचों पर तम्बाकू नियमन का समर्थन किया

डीएन ब्यूरो

ओटीटी (ओवर द टॉप) मंचों पर तम्बाकू नियमन लाने के केंद्र के कदम की सराहना करते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बच्चों को तम्बाकू मुक्त परिवेश उपलब्ध कराने के लिए सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया है।

तम्बाकू (फाइल)
तम्बाकू (फाइल)


नई दिल्ली: ओटीटी (ओवर द टॉप) मंचों पर तम्बाकू नियमन लाने के केंद्र के कदम की सराहना करते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बच्चों को तम्बाकू मुक्त परिवेश उपलब्ध कराने के लिए सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया है।

उल्लेखनीय है कि भारत, सिनेमाघरों और टेलीविजन कार्यक्रमों में दिखाई जाने वाली तम्बाकू रोधी चेतावनी को ओटीटी मंचों के लिए अनिवार्य करने वाला पहला देश हो गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2004 के नियमों में संशोधनों को बुधवार को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर अधिसूचित किया।

अधिसूचना के अनुसार, ऑनलाइन सामग्री में तम्बाकू उत्पाद या उनके इस्तेमाल को दिखाए जाने के दौरान प्रसारकों को कार्यक्रम के शुरू और मध्य में कम से कम 30 सैकंड तक तम्बाकू के खिलाफ स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी दिखानी होगी।

कार्यक्रम के दौरान तम्बाकू उत्पादों या उनके उपयोग को दिखाया जाता है तो उन्हें इस दौरान स्क्रीन के नीचे एक संदेश के रूप में तम्बाकू विरोधी स्वास्थ्य चेतावनी दिखाना अनिवार्य होगा।

बुधवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने तम्बाकू और मादक पदार्थ मुक्त भारत बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान ‘एडिक्शन फ्री अमृत काल’ की शुरूआत की। इस पहल का उद्देश्य बच्चों की मदद से तम्बाकू और मादक पदार्थ मुक्त भारत का निर्माण करना है।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने तम्बाकू उत्पादों और मादक पदार्थ की लत के बीच संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि मनोरंजन उद्योग बच्चों को तम्बाकू का इस्तेमाल करने की ओर ले जाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि फिल्म में तम्बाकू उत्पादों पर चेतावनी दिखाये जाने से जुड़े नियम हैं, जबकि हाल के समय में लोकप्रियता हासिल करने वाले ओटीटी मंचों के सिलसिले में नियमों की काफी जरूरत है।

आयोग ने इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ओटीटी मंचों पर तम्बाकू के इस्तेमाल पर नियमन लाने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘और अब, हम खुश हैं कि सरकार ने ओटीटी मंचों पर तम्बाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाने की अहमियत के मद्देनजर इस जरूरी नियमन को लाया है। ’’

कानूनगो ने बुधवार को राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम के प्रावधानों को मजबूत बनाने का पुरजोर समर्थन करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि बच्चे तम्बाकू के इस्तेमाल से परोक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। इसलिए उन्हें स्कूलों में गठित ‘प्रहरी क्लब’ का सदस्य बनाया गया है, जो उनके स्कूल के नजदीक तम्बाकू उत्पाद बेचे जाने की सूचना देने में अहम भूमिका निभाएंगे।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में ‘रुमेटोलॉजी’ (श्वसन रोग) विभाग की प्रमुख डॉ उमा कुमार ने मादक पदार्थ और तम्बाकू की लत से स्वास्थ्य को पैदा होने वाले खतरों को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने के चलते देश में हर साल 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि कोटपा संशोधन विधेयक न केवल लोगों की जान बचाएगा बल्कि स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर पड़ने वाले भार को भी घटाएगा।

टोबैको फ्री इनिशिएटिव, विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय सहायक डॉ जगदीश कौर ने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि ओटीटी सामग्री के नियमन के लिए कदम उठाया गया है।’’

 










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