DGP की रेस पड़ी आरपी सिंह को भारी, रामाशास्त्री के पर भी कतरे गये, मुकुल गोयल के डीजीपी बनने के बाद शीर्ष स्तर पर पहला बड़ा फेरबदल
चार महीने बाद यूपी में चुनाव आचार संहिता लग जायेगी, उससे पहले यूपी की पुलिसिया नौकरशाही के कील-कांटे दुरुस्त करने की कवायद तेज कर दी गयी है। राज्य सरकार ने डीजी और एडीजी रैंक के कई आईपीएस अफसरों के तबादले किये हैं। इस फेरबदल में सीबीसीआईडी, एसआईटी, ईओडब्ल्यू के प्रमुख बदल दिये गये हैं। इस बदलाव के पीछे की कहानी डाइनामाइट न्यूज़ पर:
नई दिल्ली: मुकुल गोयल के पुलिस महानिदेशक बनने के एक महीने बाद डीजी स्तर के चार और एडीजी के दो पदों पर बेहद अहम बदलाव किये गये हैं। इस बदलाव से एक बात एक बार फिर साबित हुई है कि अब भी यूपी पुलिस के बेताज बादशाह अवनीश अवस्थी हैं। उनकी विभाग पर मजबूत पकड़ बनी हुई है।
एक समय तक अवनीश अवस्थी के बेहद खास माने जा रहे रामपुर तिराहा कांड के चर्चित किरदार और 1987 बैच के आईपीएस राजेन्द्र पाल सिंह का साथ उनके रहनुमा ने न जाने क्या हुआ, अचानक छोड़ दिया। नतीजा एसआईटी और ईओडब्ल्यू की कप्तानी कर रहे आरपी सिंह को कायदे से ठिकाने लगा दिया गया और उन्हें अगला असाइनमेंट थमा दिया गया डीजी ट्रेनिंग का। इस पद से 31 अगस्त को सुजानवीर सिंह रिटायर हो रहे हैं। इसके बाद आरपी यहां आयेंगे। फिलहाल आरपी के जिम्मे कई बेहद अहम जांचें थीं, जिनमें अपनाये जा रहे तौर-तरीकों से जिम्मेदार खुश नहीं थे।
वाराणसी जोन के एडीजी से लेकर एडीजी (L&O) की जिम्मेदारी संभाल चुके पीवी रामाशास्त्री (IPS:89) की भी जमकर मौज थी। ये इस समय डीजी विजिलेंस के पद पर तैनात हैं लेकिन सीबीसीआईडी जैसा अहम अतिरिक्त चार्ज था। अब रामाशास्त्री के पर कतर दिये गये हैं और इनसे सीबीसीआईडी प्रमुख की अतिरिक्त जिम्मेदारी छीन ली गयी है।
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आरके विश्वकर्मा अभी पुलिस भर्ती बोर्ड के डीजी हैं, इसके अलावा इन पर भरोसा जताते हुए ईओडब्ल्यू का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
आनंद कुमार जेल महकमे के अलावा फायर सर्विस का भी काम देखेंगे।
रेणुका मिश्र को एडीजी भर्ती बोर्ड की जगह एसआईटी की जिम्मेदारी दी गयी है तो वहीं आरके स्वर्णकार को सीबीसीआईडी से हटाकर भर्ती बोर्ड में आरके विश्वकर्मा का मातहत बनाया गया है।
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पुलिस आयुक्तों में जल्द होगा फेरबदल
इन तबादलों के अलावा अंदर की खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर यह है कि जिन चार जिलों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है, वहां पर आयुक्तों की तैनाती की जल्द समीक्षा होने जा रही है। मतलब यहां फेरबदल अवश्यंभावी दिखता है।