Cervical Cancer: गोरखपुर एम्स में गोष्ठी, जानिये सर्वाइकल कैंसर के कारण और बचाव के उपाय

डीएन ब्यूरो

सर्वाइकल कैंसर के मामले दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। गोरखपुर एम्स में सर्वाइकल कैंसर को लेकर एक गोष्ठी की गई, जिसमें इसके कारण और बचाव के उपाय बताये गये। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

एम्स गोरखपुर में गोष्ठी का आयोजन
एम्स गोरखपुर में गोष्ठी का आयोजन


गोरखपुर: एम्स गोरखपुर में सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुख का कैंसर) के स्क्रीनिंग के तरीकों पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें बताया गया कि सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण एचपीवी संक्रमण है। एचपीवी एक सामान्य वायरस है जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इसके अलावा, आनुवंशिक परिवर्तन, धूम्रपान, और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी भी र्वाइकल कैंसर के कारण हो सकते हैं और सर्वाइकल स्क्रीनिंग से सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद मिलती है।

कार्यक्रम में गोरखपुर जिले के भट हट, चरगावां, जंगल कौडिया, खोराबार, सरदारनगर, खजनी, सहजनवा और कौरीराम ब्लॉक से 70 से अधिक आशा और एएनएम ने शिरकत की। साथ ही खजनी से डा प्रदीप, खोराबार से डा उबैद, चरगावन से डा धनंजय और खजनी से जुमरती अहमद जी भी कार्यक्रम में भाग लेने आए।

स्क्रीनिंग कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डा जी के पाल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत एवं उत्साहवर्धन किया और बताया कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं का प्रमुख कैंसर है, जिसे सही समय पर निदान कर के महिला की जान बचाई जा सकती है।  ३० से ६५ वर्ष की सभी महिलाओं को नियमित (हर तीन से पांच साल में ) स्क्रीनिंग करनी चाहिए। 

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स्क्रीनिंग के लिए मुख्य रूप से तीन टेस्ट उपलब्ध हैं। पैप स्मीयर टेस्ट (Pap Smear Test): यह परीक्षण गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में असामान्य बदलावों की पहचान करता है।

एचपीवी टेस्ट (HPV Test): यह परीक्षण एचपीवी वायरस की उपस्थिति की जांच करता है।

VIA: एसिटिक एसिड (वीआईए) के द्वारा गर्भाशय ग्रीवा का निरीक्षण एक प्रभावी, सस्ता स्क्रीनिंग परीक्षण है जिसे प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रारंभिक उपचार प्रक्रियाओं के साथ जोड़ा जा सकता है।

स्क्रीनिंग की सलाह:

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21-29 वर्ष की महिलाएं: हर 3 साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करान चाहिए।

30-65 वर्ष की महिलाएं:  हर 3 साल में सिर्फ पैप स्मीयर टेस्ट और हर 5 साल में एक बार  एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए। कार्यक्रम में आशा अनीता देवी (खोराबार से), कुसुम (खोराबार से), मंजू चौबे (सहजनवा से), अर्चना सिंह (जंगल कौडिया से) और धीरा सिंह(सोनबरसा से) को महिलाओं में इस कैंसर के विषय में जागरूक बनाने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डा शिखा सेठ ने की और विशिष्ट अतिथि डा एच एस जोशी रहे। कार्यक्रम का संचालन डा प्रीति प्रियदर्शनी, डा प्रदीप खरया, डा कृतिका, सिमरन, राहुल और माधुरी ने किया।










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