

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत के एक करीबी मित्र एवं कारोबारी सुजीत पाटकर ने मुंबई में कोविड-19 उपचार केंद्रों के प्रबंधन में कथित अनियमितताओं से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को एक विशेष अदालत को यह बात बतायी।
मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत के एक करीबी मित्र एवं कारोबारी सुजीत पाटकर ने मुंबई में कोविड-19 उपचार केंद्रों के प्रबंधन में कथित अनियमितताओं से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को एक विशेष अदालत को यह बात बतायी।
ईडी ने कहा कि पाटकर ने अपनी कंपनी के अन्य भागीदारों के साथ-साथ बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश की थी।
इस कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में व्यवसायी की हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए ईडी ने यहां कहा कि 19 जुलाई को गिरफ्तार किए गए पाटकर को अपनी कंपनी ‘लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (एलएचएमएस)’ से अपने व्यक्तिगत बैंक खाते में अपराध की आय की ‘‘पर्याप्त’’ राशि प्राप्त हुई थी।
पाटकर और मामले के एक अन्य आरोपी किशोर बिसुरे को बृहस्पतिवार को उनकी पिछली हिरासत अवधि समाप्त होने पर विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष पेश किया गया।
अदालत ने पाटकर की ईडी में हिरासत की अवधि एक अगस्त तक बढ़ा दी, जबकि बिसुरे को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया क्योंकि जांच एजेंसी ने उनकी और हिरासत की मांग नहीं की थी।
केंद्रीय एजेंसी ने दोनों को 19 जुलाई को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था।
ईडी ने दावा किया है कि पाटकर और तीन अन्य लोगों की साझेदारी वाली फर्म ‘लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज’ को बीएमसी से महामारी के दौरान कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए नागरिक निकाय द्वारा स्थापित कोविड-19 केंद्रों के लिए चिकित्सा कर्मियों को उपलब्ध कराने के एवज में 31.84 करोड़ रुपये मिले थे।
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