सड़कों पर बनाये ईंट के चूल्हे, हजारों महिलाओं ने मनाया अट्टुकल पोंगाला, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम मंगलवार को ‘यज्ञशाला’ जैसी नजर आ रही थी जहां राज्य के विभिन्न हिस्सों की महिला श्रद्धालुओं ने ‘अट्टुकल पोंगाला’ मनाने के लिए सड़कों पर ईंट के चूल्हे बनाए और उन पर ‘पोंगला’ तैयार किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

महिलाओं ने मनाया अट्टुकल पोंगाला
महिलाओं ने मनाया अट्टुकल पोंगाला


तिरुवनंतपुरम: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम मंगलवार को ‘यज्ञशाला’ जैसी नजर आ रही थी जहां राज्य के विभिन्न हिस्सों की महिला श्रद्धालुओं ने ‘अट्टुकल पोंगाला’ मनाने के लिए सड़कों पर ईंट के चूल्हे बनाए और उन पर ‘पोंगला’ तैयार किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यहां अट्टकुल भगवती मंदिर के आसपास ईंट के कई चूल्हे बनाये गये थे। उन चूल्हों पर महिलाओं ने देवी को चढ़ाने के लिए प्रसाद तैयार किया।

वैसे तो पिछले दो सालों में कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के चलते महिलाओं ने अपने घरों में ‘पोंगला’ तैयार कर यह त्योहार मनाया था लेकिन इस बार टीवी कलाकारों और फिल्मी सितारों समेत केरल तथा पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से भी हजारों महिलाएं पूरे धार्मिक उल्लास से यह पर्व मनाने के लिए यहां पहुंचीं।

संयोग से इस बार यह त्योहार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से एक दिन पहले आया है। होली आठ मार्च को है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी आठ मार्च को मनाया जाता है।

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मिट्टी या धातु के नये बर्तनों में चावल, गुड़ और नारियल का चूरा एवं कई अन्य स्वादिष्ट चीजें मिलाकर ‘पोंगला’ पकाया गया ।

मुख्य पुरोहित द्वारा अट्टकुल मंदिर में मुख्य चूल्हे ‘पांडारा अडूप्पू’ को प्रज्ज्वलित करने के बाद सुबह दस बजकर करीब 40 मिनट पर यह त्योहार शुरू हुआ।

उसके बाद हजारों महिलाओं ने अपने चूल्हे जलाये और ‘पोंगला’ या ‘पायसम’ और ‘थेराली’ जैसे व्यंजन बनाने लगीं।

पर्व का समापन दोपहर बाद मुख्य पुरोहितों द्वारा पवित्र जल छिड़कने के बाद उपयुक्त समय पर होता है। पोंगला उत्सव इस धर्मस्थल पर दस दिवसीय पारंपरिक रीति-रिवाज का आखिरी चरण है।

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यहां अट्टकुल मंदिर में वार्षिक त्योहार के रूप में ‘पोंगला’ तैयार करना एक ऐसा रिवाज है जिसे पूरी तरह महिलाएं ही निभाती हैं । इस मंदिर को ‘महिलाओं का सबरीमला’ भी कहा जाता है । ऐसा इसलिए है कि यह महिलाएं ही रीति-रिवाज निभाती हैं।

उधर सबरीमाला में भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रमुख रूप से पुरूष ही तीर्थाटन करते हैं।










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