छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर रही भाजपा की नजर सत्ता में वापसी पर
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व में 15 साल तक राज्य की सत्ता पर काबिज रही भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
रायपुर: छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व में 15 साल तक राज्य की सत्ता पर काबिज रही भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार bसत्ता विरोधी लहर के अलावा, भ्रष्टाचार के आरोप, पार्टी संगठन और उसके नेतृत्व वाली सरकार के बीच समन्वय की कमी और अन्य पिछड़ा वर्ग द्वारा कांग्रेस के पक्ष में मतदान करना पांच साल पहले उसकी हार के कुछ प्रमुख कारणों में से एक माना गया था।
2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संख्या के आधार पर प्रभावशाली अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साहू समुदाय से आने वाले 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा लेकिन उनमें से 13 को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा ने पिछले साल साहू समाज से आने वाले पार्टी सांसद अरुण साव को अपनी राज्य इकाई का प्रमुख नियुक्त किया। पार्टी का यह कदम इस बार उसके पक्ष में काम कर सकता है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीटें हैं। भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है और उनमें से अधिकांश पंचायत निकायों के प्रतिनिधि हैं, जो दर्शाता है कि पार्टी पुराने चेहरों की जगह दूसरे स्तर के नेताओं के साथ चुनावी लड़ाई के लिए कमर कस रही है।
पार्टी ने किसी एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की ताकत, कमजोरियां, अवसर और खतरे का आकलन।
भाजपा की ताकत —
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता राज्य में पार्टी के पक्ष में काम कर सकती है। 2018 में कांग्रेस से करारी हार झेलने के बाद भाजपा ने मोदी की मजबूत छवि के दम पर 2019 में राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से नौ पर कब्जा करके प्रभावशाली वापसी की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जिसने 2018 में खुद को भाजपा की राज्य इकाई से दूर कर लिया था इस बार जमीन पर सक्रिय दिख रहा है।
भाजपा वर्तमान कांग्रेस शासन के दौरान बेमेतरा और कबीरधाम जिलों में हुई सांप्रदायिक हिंसा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कथित धर्मांतरण की घटनाओं को सामने रखकर अपनी पारंपरिक हिंदुत्व विचारधारा को पेश करने की कोशिश कर रही है।
भाजपा की कमजोरियां —
राज्य में भाजपा में दूसरे स्तर के मजबूत नेतृत्व का अभाव।
भाजपा के गाय और भगवान राम से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक मुद्दे को कांग्रेस ने छीन लिया है।
जुलाई 2020 में मुख्यमंत्री बघेल ने दो रुपए प्रति किलोग्राम पर गाय का गोबर खरीदने के लिए गोधन न्याय योजना शुरू की। गांवों में गौठान (गांवों में वे स्थान जहां गायों को दिन के समय रखा जाता है) का निर्माण किया, जिन्हें ग्रामीण औद्योगिक क्षेत्र में रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।
भगवान राम और माता कौशल्या से संबंधित प्रसंगों की स्मृतियों को जीवित रखने के लिए राज्य सरकार ने 'राम वन गमन पर्यटन सर्किट' परियोजना शुरू की है तथा वनवास के दौरान भगवान राम छत्तीसगढ़ में जिन स्थानों से दक्षिण गए थे उन नौ स्थानों का पर्यटन स्थल के रूप में विकास शुरू किया है। सरकार ने अब तक इनमें से चार स्थानों पर भगवान राम की ऊंची मूर्तियां स्थापित की हैं।
राज्य के ग्रामीण हिस्सों में विधानसभा क्षेत्रों के लोग भाजपा से निराश हैं, क्योंकि वह अपने 15 साल के शासन के दौरान उनसे किए गए कुछ वादों को पूरा करने में विफल रही है।
भाजपा के लिए अवसर —
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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग और शराब व्यापार में कथित घोटालों को लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस के खिलाफ लोगों में गुस्सा है।
राज्य में ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के नेताओं के बीच कथित मतभेद अब नहीं है लेकिन लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के भीतर मचे घमासान से भाजपा को फायदा हो सकता है।
भाजपा को उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी (आप) और सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार कांग्रेस के आधार क्षेत्र में सेंध लगा सकते हैं।
भाजपा के लिए चुनौतियां—
राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास वर्तमान में 71 सीटें हैं, जबकि भाजपा की संख्या 13 है। कांग्रेस ने 2018 में 68 सीटें हासिल की थी और उसे 42.8 प्रतिशत वोट मिले थे, जो भाजपा से 10 प्रतिशत अधिक था। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा को इस भारी अंतर को पाटने और 46 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार करने की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा की राष्ट्रवाद की रणनीति का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया है, जो राज्य में पहली बार हुआ। कांग्रेस का दावा है कि रमन सिंह के 15 साल के शासन के दौरान छत्तीसगढ़ की मूल आबादी को सभी क्षेत्रों में किनारे कर दिया गया और किसी भी ओबीसी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के नेताओं को सरकार में प्रमुखता नहीं दी गई।
विशेषज्ञों के मुताबिक कांग्रेस सरकार की किसान हितैषी योजनाएं भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती हैं। तीन प्रमुख योजनाएं - राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना (गोबर खरीद योजनाएं) और राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर कृषि न्याय योजना ने कांग्रेस को राज्य के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद की है।
कांग्रेस राज्य में लगातार भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर महंगाई बढ़ाने और यात्री ट्रेनों को लगातार रद्द करने का आरोप लगा रही है। ये सब मुद्दे राज्य में भाजपा के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं।