Parliament Security Breach: संसद सुरक्षा में सेंधमारी मामले में बड़ा एक्शन, 8 कर्मचारी सस्पेंड, मास्टरमाइंड ललित की तलाश तेज, जानिये ताजा अपडेट

डीएन ब्यूरो

दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक की घटना के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

लोकसभा में मचा हड़कंप
लोकसभा में मचा हड़कंप


नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक की घटना के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में लोकसभा सचिवालय ने बड़ा एक्शन लिया गया है। संसद की सुरक्षा से जुड़े आठ कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले के मास्टरमाइंड की तलाश के लिये कई स्थानों पर पुलिस की छापेमारी लगातार जारी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के मामले का मास्टरमाइंड ललित झा है, जो फरार चल रहा है। छठे आरोपी ललित झा की तलाश तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजस्थान से लेकर हरियाणा तक में छापेमारी की है। स्पेशल सेल की टीम जब नीमराना के गंडाला गांव पहुची तो ललित वहां से फरार हो गया। स्पेशल सेल की 2 टीमें सिर्फ ललित की तलाश में जुटी हुई है।

घटना के अगले दिन संसद के गेट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। जूते और टोपी निकलवाकर तलाशी ली जा रही है। 

संसद पर 2001 को हुए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग- सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए, उन्होंने नारेबाजी की और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। इस बीच कुछ सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया।

लगभग उसी वक्त दो अन्य आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम देवी- ने संसद परिसर के बाहर ‘केन’ से रंगीन धुआं छोड़ा और ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाए।

पुलिस अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस घटना की योजना छह लोगों ने मिल कर बनाई थी और ये चारों लोग उसी समूह का हिस्सा हैं।

अधिकारियों ने बताया कि घटना के संबंध में संसद मार्ग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 452 (बिना मंजूरी के प्रवेश), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करना अथवा हमला) और यूएपीए की धारा 16 तथा 18 के तहत मामला दर्ज किया गया है।










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