बलिया: दिव्यांग लक्ष्मी साहनी ने 17 घंटे तैरकर रचा इतिहास, जानिए पूरा अपडेट

बलिया के बांसडीह तहसील क्षेत्र के हालपुर गांव के रहने वाले लक्ष्मी साहनी दोनो पैर से पूरी तरह दिव्यांग है और राष्ट्रीय तैराक भी है लक्ष्मी साहनी ने वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया तक का सफर गंगा नदी से साढ़े 17 घंटे में तैरकर बनाया रिकॉर्ड । पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 3 May 2024, 7:06 PM IST
google-preferred

बलिया: बांसडीह तहसील क्षेत्र के हालपुर गांव के निवासी लक्ष्मी सहनी दोनों पैर से पूरी तरह दिव्यांग है और लक्ष्मी साहनी राष्ट्रीय तैराक भी है। 

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार लक्ष्मी साहनी की हम एक ऐसी सफलता की कहानी बताने वाले हैं। जिसको सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। एक ऐसा शख्स, जो दोनों पैरों से दिव्यांग है, लेकिन हौसले कितने बुलंद हैं, ये देखकर आसपास के युवाओं में जोश और उत्साह एवम उमंग भर गया है। इस दिव्यांग ने उस दिशा में अपना परचम लहराया, जो कठिन ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।

हम जिले के हालपुर निवासी राष्ट्रीय तैराक 75% दिव्यांग लक्ष्मी साहनी की बात कर रहे हैं, जिसने वाराणसी के अस्सी घाट से बलिया तक का सफर गंगा नदी से साढ़े 17 घंटे में तैरकर रिकॉर्ड बनाया था। यही नहीं, एक मिनट में 50 मीटर तैराकी की मिसाल भी कायम की।

लक्ष्मी साहनी ने बताया कि मैं बचपन से ही दिव्यांग हूं। अभी तक मुझे ओलंपिक में पांच से अधिक स्वर्ण पदक के साथ रजत पदक भी मिले हैं मेरे पिता भी 2021 में मेरा साथ छोड़कर भगवान को प्यारे हो गए। मेरे दोनों पैर नही थे लेकिन सपना आसमान छूने का था।

 मैंने पहले अपने गांव की छोटी बड़ी नदियों में प्रयास किया। मेरे कुछ मित्रों ने साथ दिया और मैं तैरना सीखा। वही लक्ष्मी साहनी ने बताया कि सपनों की उड़ान भरने के लिए मैंने दिन-रात एक कर दिया  मैंने स्नातक तक पढ़ाई भी की है।

मैंने देश-विदेश में अपना परचम लहराया। दिव्यांगता केवल दिमाग में होती है, अगर जिस दिन यह सोच लिया कि मैं दिव्यांग नहीं हूं, हर काम संभव है। तैरने वाले इन खेलों में भी उस्ताद मुझे पता नहीं था कि तैरने के क्षेत्र में भी कई खेल प्रतियोगिता होती है। 
 

Published : 
  • 3 May 2024, 7:06 PM IST

Related News

No related posts found.