कला समीक्षक और आर्ट हिस्टोरियन प्रो. बीएन गोस्वामी का निधन, प्रशासनिक सेवा छोड़ उतरे थे शोध में

डीएन ब्यूरो

मशहूर कला इतिहासकार और लेखक बीएन गोस्वामी का शुक्रवार को चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) में निधन हो गया। उनकी आयु 90 वर्ष थी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रो. बीएन गोस्वामी का निधन
प्रो. बीएन गोस्वामी का निधन


नयी दिल्ली: मशहूर कला इतिहासकार और लेखक बीएन गोस्वामी का शुक्रवार को चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) में निधन हो गया। उनकी आयु 90 वर्ष थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पारिवारिक मित्र और रंगकर्मी नीलम मान सिंह ने  बताया कि गोस्वामी के फेफड़ों में संक्रमण था।

उन्होंने कहा, ''यह कोई लंबे समय से चली आ रही बीमारी नहीं थी। उन्हें बस बीते एक माह से सांस लेने में परेशानी हो रही थी।''

गोस्वामी का जन्म 15 अगस्त, 1933 को हुआ था। पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार विजेता को पहाड़ी शैली की चित्रकला में उनके काम के लिए जाना जाता है।

गोस्वामी ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाने के लिए वर्ष 1958 में प्रतिष्ठित सिविल सेवा छोड़ दी थी।

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कला जगत में बीएनजी के नाम से मशहूर गोस्वामी ने पहाड़ी चित्रकला, लघु चित्रकला, दरबारी चित्रकार और भारतीय चित्रकला के उस्तादों सहित अन्य विषयों पर 26 से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं।

सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय में कला इतिहास के प्रोफेसर रहे गोस्वामी को 'स्पष्ट' व्यक्तित्व वाले और 'महान श्रोता' के रूप में याद किया।

उन्होंने कहा, ''वह मेरे कला इतिहास के गुरु थे। उनकी पत्नी मेरे लिए बड़ी बहन जैसी थीं। मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थी और वह एक बहुत अच्छे श्रोता थे। मैं वास्तव में कला इतिहास के विचार से रोमांचित थी। वह बहुत स्पष्टवादी थे और उन्होंने हमें यह देखने का मौका दिया कि लघु चित्र कैसे बनाये जाते हैं, साथ ही आधुनिक शैली कैसे काम करती है।''

गोस्वामी की पत्नी करुणा भी एक कला इतिहासकार थीं जिनकी वर्ष 2020 में मृत्यु हो गयी थी। उनकी एक बेटी मालविका है।

सोशल मीडिया पर कला इतिहासकार के लिए शोक संदेशों का तांता लग गया जिनमें उन्हें खुशमिजाज, सहज, सहानुभूतिपूर्ण व्यक्तित्व वाले इंसान के रूप में याद किया गया।

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लेखक एवं इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, ''मेरे प्रिय मित्र और गुरु, बीएन गोस्वामी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ जो भारत के महानतम कला इतिहासकारों में शामिल थे और मुझे अब तक मिले सबसे बुद्धिमान एवं सबसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों में से एक थे। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता और वह हमेशा याद आएंगे। ओम शांति!''

कवि रंजीत होसकोटे ने कहा कि आज का दिन प्रोफेसर बीएन गोस्वामी के निधन के दुखद समाचार के साथ शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि बीएनजी संस्कृत, फारसी, उर्दू, जर्मन और अंग्रेजी में एक अतुलनीय विद्वान थे। वर्ष 1960 के दशक में पहाड़ी चित्रकारों के सामाजिक इतिहास और पारिवारिक शिल्पशाला संरचनाओं में उनके गहन अध्ययन ने एके कुमारस्वामी, डब्ल्यूजी आर्चर और कार्ल खंडालावाला द्वारा शुरू किए गए क्षेत्र के अध्ययन में क्रांति ला दी थी।

उन्होंने कहा कि गोस्वामी ने विशेषज्ञ संस्कृति और लोकप्रिय दर्शकों के बीच की खाई को उत्साह और प्रतिभा से पाट दिया था।










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