आपराधिक मामलों की जमानत याचिका को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

डीएन ब्यूरो

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी नियमावली में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। आपराधिक केसों में जेल में बंद अभियुक्तों को पहले जमानत याचिका दाखिल करने के लिए 10 दिन तक नोटिस का इंतजार करना होता था। इसके बाद ही जमानत अर्जी दाखिल होती थी लेकिन अब इसे घटाकर दो दिन कर दिया गया है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो)


इलाहाबादः हाईकोर्ट ने अपनी नियमावली में एक बड़ा संशोधन किया है। पहले अभियुक्तों को जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए 10 दिन की नोटिस अवधि का इंतजार करना होता था। अब इसे घटाकर उच्च न्यायालय ने महज दो दिन कर दिया है। इससे अभियुक्तों को जमानत के लिए बेवजह लंबा इंतजार करना पड़ता था अब इसमें 8 दिन की कटौती कर कोर्ट ने बड़ी राहत दी है।

इस संशोधन के बाद अब कैदी सिर्फ दो दिन में ही अपनी जमानत याचिका को दाखिल कर सकेंगे। अब तक पुलिस जब किसी संगीन अपराध में अभियुक्त को पकड़ती थी तो वह अपनी जमानत याचिका के लिए पहले 10 दिन की नोटिस प्रक्रिया का पालन करता था फिर जमानत याचिका दाखिल होती थी। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस निर्णय को इसलिए भी बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे अब जेलों में बंद अभियुक्तों की जमानत पर शीघ्र सुनवाई हो सकेगी। 

हाईकोर्ट ने इस अनुच्छेद में किया संसोधन

हाईकोर्ट ने नियमावली 18(3) की धारा में संशोधन किया है। जिससे अब कैदियों की जमानत याचिका की जल्द सुनवाई हो सकेगी। यह संशोधन सरकारी गजट में प्रकाशित होने की तारीख 29 सितंबर 2018 से प्रभावी होगा।     

कैदियों को पहले भुगतना पड़ता था ये

इससे पहले विभिन्न मामलों में जेल में बंद कैदियों को अपनी जमानत की अर्जी की सुनवाई में तकनीकी कारण से हो रही देरी के कारण जेल में मजबूरन रहना पड़ता था। इस समयावधि के दौरान अर्जीदाता के बारे में सरकार को सुनवाई की तारीख तक अपनी रिपोर्ट बनाकर पेश करनी पड़ती थी। जबकि अब हाईटेक हो रही सूचना तकनीक व इसके बढ़ते प्रसार के चलते हाईकोर्ट ने नियमावली में संशोधन कर बड़ा बदलाव किया है।










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