अमित शाह यूपी के दौरे पर.. देखिये कैसे सरकारी पैसे से छपते हैं विज्ञापन और डीएम करते हैं स्वागत..

महराजगंज के डीएम अमरनाथ उपाध्याय किसी राजनीतिक दल के संगठन के लिए काम कर रहे हैं या फिर राज्य की सरकार के लिए? यह बड़ा सवाल महराजगंज से लेकर लखनऊ तक उठ खड़ा हुआ है। वजह है निचलौल नगर पंचायत में छपा एक विज्ञापन। अब यह गंभीर मामला भारत निर्वाचन आय़ोग की दहलीज पर पहुंचने जा रहा है। डाइनामाइट न्य़ूज़ एक्सक्लूसिव..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 February 2019, 1:03 PM IST
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लखनऊ: महराजगंज के स्थानीय अखबारों में आज छपे विज्ञापन की लखनऊ तक में गूंज हो गयी है और यह विज्ञापन सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। निचलौल नगर पंचायत की ओर से प्रकाशित इस विज्ञापन में महराजगंज के डीएम अमरनाथ उपाध्याय भाजपा के बूथ सम्मेलन में शामिल होने आ रहे पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ का स्वागत एवं अभिनंदन करने की बात कहते दिख रहे हैं। 

क्या इस विज्ञापन में निचलौल नगर पंचायत ने अपनी मर्जी से डीएम की फोटो व नाम प्रकाशित कराये हैं या फिर डीएम से इसकी मंजूरी ली गयी है? यह जांच में साफ होगा लेकिन निचलौल नगर पंचायत के जिम्मेदारों ने अपने कारनामे से डीएम को भारत निर्वाचन आयोग की नजरों में संदिग्ध बना दिया है। 

पूरी तरह से राजनीतिक दौरे पर संगठन के कार्यकर्ताओं के बूथ सम्मेलन को संबोधित करने आज महराजगंज में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह औऱ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे हैं। यह पूरी तरह से गैर सरकारी कार्यक्रम है।

बावजूद इसके जनता के पैसे से राजनीतिक कार्यक्रमों में विज्ञापन के नाम पर जबरदस्त तरीके से सरकारी पैसा उड़ाया जा रहा है। यदि सिर्फ सीएम के स्वागत की बात होती तो गनीमत होता लेकिन एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष का स्वागत व अभिनंदन किस तरह से सरकारी पद पर बैठा अधिकारी कर सकता है.. यह सवाल चारों ओर पूछा जा रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने इस बारे में जब लखनऊ के विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों से इस बारे में सवाल किया तो सभी ने इसे अति गंभीर प्रकरण बताते हुए समूचा मामला भारत निर्वाचन आयोग के दरबार में ले जाने की बात कही है। 

इन लोगों का कहना है कि भले ही अभी चुनाव आचार संहिता नही लगी है लेकिन चुनाव के चंद दिन पहले इस तरह से एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष का सरकारी धन पर सरकारी अफसरों द्वारा स्वागत अति गंभीर मामला है। 

ज्यादा दिन नही बीता है जब इसी तरह की हरकतों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों से अफसरों व मंत्रियों की फोटो छपने पर रोक लगायी थी। इन सबके बावजूद अफसर अपनी करतूतों से बाज नही आ रहे हैं। 

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