एसीएमएम अदालत बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करेगी

डीएन ब्यूरो

राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों द्वारा दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को उस अदालत को सौंप दिया, जो एक संबंधित मामले की पहले से सुनवाई कर रही है।

यौन उत्पीड़न (फाइल)
यौन उत्पीड़न (फाइल)


नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों द्वारा दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को उस अदालत को सौंप दिया, जो एक संबंधित मामले की पहले से सुनवाई कर रही है।

सीएमएम महिमा राय सिंह ने महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित मामला और दिल्ली पुलिस का आरोप-पत्र अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल को भेज दिया। सीएमएम ने दिल्ली पुलिस के वकील की उन दलीलों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि एसीएमएम अदालत महिला पहलवानों के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध पर विचार कर रही है।

महिला पहलवानों का मुद्दा ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक तथा एशियाई खेलों की चैंपियन विनेश फोगट जैसे प्रतिष्ठित पहलवानों ने उठाया था। महिला पहलवानों के विरोध को कई विपक्षी दलों और किसान संगठनों का भी समर्थन हासिल हुआ है।

मामले की सुनवाई अब एसीएमएम अदालत में 27 जून को होगी।

दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न और पीछा करने के कथित अपराधों के मामले में सिंह के खिलाफ 15 जून को आरोप-पत्र दायर किया था।

दिल्ली पुलिस ने 15 जून को बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न के आरोप को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए अंतिम रिपोर्ट दायर की थी।

आरोप निरस्त करने संबंधी रिपोर्ट पुलिस द्वारा उन मामलों में दायर की जाती है, जहां पुलिस उचित जांच के बावजूद पुष्टि करने लायक साक्ष्य ढूंढने में विफल रहती है। नाबालिग पहलवान उन सात पहलवानों में शामिल थीं, जिन्होंने सिंह पर यौन-उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में, नाबालिग पहलवान के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि उन्होंने और उनकी बेटी ने सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न की 'झूठी' पुलिस शिकायत दर्ज की थी, क्योंकि वे लड़की के साथ कथित अन्याय के लिए उनसे (सिंह से) बदला लेना चाहते थे।

पुलिस ने 15 जून को सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।

इस पर आज विचार किया जाना था और सीएमएम सिंह ने मामला एसीएमएम जसपाल को सौंपने का फैसला किया।

आरोप पत्र में डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को भी आईपीसी की धारा 109 (किसी अपराध के लिए उकसाना, यदि उकसाये गये कार्य का कोई परिणाम निकलता है और जहां इसकी सजा के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है), धारा 354, 354ए और 506 के तहत अपराध के लिए नामजद किया गया है।

वर्तमान मामले के अलावा, एक नाबालिग पहलवान के आरोपों से संबंधित एक और प्राथमिकी ‘यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण’ (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी। वह उन सात महिला पहलवानों में शामिल थीं, जिन्होंने सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

पुलिस ने सिंह से अभी तक दो बार पूछताछ की है और दोनों ही मौकों पर उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है तथा दावा किया है कि उन्हें ‘फंसाया’ जा रहा है।

 










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