नागपुर की एक अदालत ने चुनावी हलफनामे से जुड़े मामले में फडणवीस को बरी किया
नागपुर की एक अदालत ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 2014 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दाखिल चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के आरोपों से शुक्रवार को बरी कर दिया।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नागपुर (महाराष्ट्र): नागपुर की एक अदालत ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 2014 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दाखिल चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के आरोपों से शुक्रवार को बरी कर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक दीवानी न्यायाधीश एस एस जाधव ने कहा कि अदालत ने डिजिटल तरीके से उपस्थित फडणवीस को ‘‘दोष मुक्त’’ कर दिया है। न्यायाधीश ने कहा कि प्रासंगिक जानकारी को छिपाने का उनका कोई ‘‘इरादा’’ नहीं था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं नागपुर से विधायक फडणवीस डिजिटल तरीके से अदालत में पेश हुए।
नागपुर के वकील सतीश उइके ने फडणवीस के खिलाफ याचिका दायर करके आपराधिक मुकदमा चलाए जाने की गुहार लगाई थी। उइके ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता के खिलाफ 1996 और 1998 में धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में इस बारे में जानकारी नहीं दी।
राज्य में 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे फडणवीस (53) ने इस साल अप्रैल में अदालत में कहा था उनके पूर्व वकील ने उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में सूचना एकत्र करते हुए अनजाने में गलती कर दी थी, जिसके कारण 2014 में दाखिल किए गए उनके चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मामलों का जिक्र नहीं था।
उनके मौजूदा वकील देवेन चौहान और उदय दाबले ने शुक्रवार को कहा कि अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित करने में नाकाम रहा है कि फडणवीस ने जानबूझकर या यह जानते हुए हलफनामे में दो मामलों का खुलासा नहीं किया था कि इसका खुलासा न करने से उन्हें चुनाव जीतने में मदद मिलेगी।
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वकीलों ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता (उइके) जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत फडणवीस के खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहे।’’
चौहान ने कहा कि इस धारा के तहत जब कोई व्यक्ति जानबूझकर या यह जानते हुए अपने खिलाफ लंबित मुकदमों को छिपाता है कि इससे उन्हें चुनाव जीतने में मदद मिलेगी, तो यह अपराध के दायरे में आता है।
फडणवीस ने 15 अप्रैल को सौंपे गए बयान में कहा था कि उनका जानबूझकर सूचना छिपाने का कोई इरादा नहीं था और फॉर्म 26 के हलफनामे में इन्हें शामिल न करना ‘‘सरासर लापरवाही और बिना किसी मंशा के था।’’
नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से निर्वाचित, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में और अधिक गंभीर प्रकृति के मामलों का उल्लेख किया था।
भाजपा नेता ने कहा कि वह 1999 से विधानसभा के सदस्य हैं और हर बार बड़े अंतर से जीते हैं।
फडणवीस अपना बयान दर्ज कराने के लिए दो बार अदालत में पेश हुए थे।
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उइके धन शोधन के आरोपों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अभी जेल में हैं।
उइके की शिकायत पर जब 2014 में पहली बार सुनवाई हुई थी, तो दीवानी अदालत ने फडणवीस के खिलाफ फैसला दिया था, लेकिन बाद में बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने फैसला रद्द कर दिया था।
इसके बाद वकील ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने कहा था कि भाजपा नेता के खिलाफ मुकदमा चलाने का मामला बनता है।
उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय का फैसला रद्द कर दिया था और निचली अदालत को नए सिरे से मामले पर सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
बाद में फडणवीस ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने 2020 में खारिज कर दिया था।