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भारतीय क्रिकेट टीम में शुभमन गिल का लगातार T20 टीम में चयन टीम के बैलेंस और अन्य विस्फोटक खिलाड़ियों के मौके प्रभावित कर रहा है। गिल टेस्ट और वनडे में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन T20 में उनका स्ट्राइक रेट औसत रहा है।
शुभमन गिल (Img: Internet)
New Delhi: भारतीय क्रिकेट टीम के कोच गौतम गंभीर और चीफ सेलेक्टर के निर्णय सीधे खिलाड़ियों के करियर पर असर डाल रहे हैं। खासकर T20 टीम में शुभमन गिल को लगातार शामिल करने का फैसला कई अनुभवी और योग्य खिलाड़ियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। गिल टेस्ट और वनडे में शानदार हैं, लेकिन T20 की तेज़ी और बैलेंस की ज़रूरतों के हिसाब से वह पूरी तरह फिट नहीं बैठते। इस वजह से अभिषेक शर्मा और यशस्वी जायसवाल जैसे विस्फोटक खिलाड़ियों को मौके नहीं मिल रहे।
शुभमन गिल को लगातार ओपनिंग स्लॉट पर प्रमोट करने से T20 टीम का बैलेंस प्रभावित हुआ है। कोच गौतम गंभीर, अजीत अगरकर और सूर्यकुमार यादव यह दलील देते रहे हैं कि गिल पहले से टीम का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें बनाए रखना ज़रूरी था। लेकिन इस निर्णय ने संजू सैमसन को ओपनिंग से हटाकर मिडिल ऑर्डर और निचले क्रम में खड़ा कर दिया, और अंततः उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर होना पड़ा। टीम कॉम्बिनेशन की अहमियत को नजरअंदाज कर, एक खिलाड़ी को जबरदस्ती फिट करने की कोशिश ने टीम को नुकसान पहुंचाया।
शुभमन गिल (Img: Internet)
संजू सैमसन और अभिषेक शर्मा की ओपनिंग जोड़ी भारत के लिए बेहद कारगर साबित हो चुकी है। संजू ने एक ही सीज़न में तीन शतक बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया था। इसके बावजूद, शुभमन गिल के शामिल होने के बाद उनके साथ लगातार पोज़िशन में बदलाव किए गए और उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। यह निर्णय साफ़ करता है कि टीम कॉम्बिनेशन के बजाय व्यक्तिगत चयन प्राथमिकता बन गया।
दुनिया जानती है कि यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल की तुलना में T20 में अधिक विस्फोटक खिलाड़ी हैं। आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए उन्होंने सिर्फ़ 13 गेंदों में सबसे तेज़ फिफ्टी बनाई और एशियन गेम्स में 48 गेंदों में सेंचुरी बनाई। इसके बावजूद, कोच और सेलेक्टर्स उन्हें T20 टीम में जगह नहीं दे रहे हैं।
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शुभमन गिल का T20 रिकॉर्ड लगातार औसत रहा है। पिछले 16 मैचों में उन्होंने एक भी हाफ-सेंचुरी नहीं बनाई। उनके स्ट्राइक रेट की तुलना अभिषेक शर्मा से करें तो गिल का 140 है, जबकि अभिषेक 180 की रफ्तार से रन बनाते हैं। इस कमी के कारण टीम को शुरुआती शक्ति नहीं मिल रही, और भारतीय टीम का बैलेंस प्रभावित हो रहा है।