Queensland: टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों में अर्शदीप सिंह का नाम शीर्ष पर है। अपनी तेज़ और सटीक गेंदबाज़ी के कारण वह पावरप्ले और डेथ ओवरों में विपक्षी बल्लेबाज़ों के लिए सबसे मुश्किल साबित होते हैं।
अर्शदीप के खाते में अब तक 66 मैचों में 104 विकेट हैं, और वह टी20 में 100 से ज़्यादा विकेट लेने वाले अकेले भारतीय गेंदबाज़ हैं। लेकिन, फिर भी सोचने वाली बात ये है कि उन्हें अनदेखा क्यों किया जाता है? जिस पर गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्कल ने प्रतिक्रिया दी है।
प्लेइंग इलेवन में अनदेखा होना
इतना प्रदर्शन होने के बावजूद अर्शदीप को कई मौकों पर प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज़ के पहले दो मैचों में भी उन्हें मौका नहीं मिला। यह फैसला कई क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों के लिए आश्चर्यजनक था। गेंदबाज़ की स्थिरता और मैच बदलने की क्षमता को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या टीम में उनकी अहमियत सही तरह से समझी जा रही है।
तीसरे मैच में धमाका
तीसरे टी20 मैच में जैसे ही अर्शदीप को मौका मिला, उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी से सबका ध्यान खींच लिया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों ट्रैविस हेड, जोश इंग्लिस और मार्कस स्टोइनिस के अहम विकेट लेकर मैच का रुख़ पूरी तरह बदल दिया। उनके इस प्रदर्शन ने दर्शकों और टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को भी प्रभावित किया।
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कोच मोर्ने मोर्कल ने खोला राज
भारतीय टीम के गेंदबाज़ी कोच मोर्ने मोर्कल ने चौथे टी20 से पहले अर्शदीप के साथ हो रहे ‘अन्याय’ पर बात की। उन्होंने कहा, “अर्शदीप एक अनुभवी और विश्वस्तरीय गेंदबाज़ हैं। पावरप्ले में उनके योगदान को हम अच्छी तरह समझते हैं। इस दौरे में हम विभिन्न संयोजनों का प्रयोग कर रहे हैं, और अर्शदीप इसे अच्छी तरह समझते हैं। उनकी अहमियत टीम के लिए हमेशा बनी रहेगी।”
टीम इंडिया के लिए ज़रूरी खिलाड़ी
अर्शदीप सिंह न केवल विकेट लेने में माहिर हैं, बल्कि दबाव के समय में विपक्ष पर असर डालने की क्षमता भी रखते हैं। उनकी तेज़ गेंदबाज़ी और सटीक यॉर्कर डेथ ओवरों में विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। इस फॉर्मेट में उनकी निरंतरता और मैचों में निर्णायक भूमिका उन्हें टीम इंडिया के लिए एक अनिवार्य खिलाड़ी बनाती है।

