Kazakhstan: भारतीय निशानेबाज एलवेनिल वालारिवन ने अपनी शानदार प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए 16वीं एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप की महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस प्रतियोगिता के फाइनल में उन्होंने 253.6 अंक हासिल कर शीर्ष स्थान हासिल किया।
तमिलनाडु की यह 26 वर्षीय निशानेबाज विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपनी जीतों के लिए जानी जाती हैं, जिनमें विश्व कप और विश्व चैंपियनशिप के कई पदक शामिल हैं। इस फाइनल में चीन की शिनलू पेंग 253 अंकों के साथ रजत पदक पर संतोष मानती रहीं, जबकि कोरिया की युंजी क्वोन 231.2 अंकों के साथ कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं।
पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक
इलावेनिल वालारिवन का यह इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक है। इससे पहले वे टीम स्पर्धाओं में रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इस स्पर्धा में भारतीय निशानेबाज मेहुली घोष ने भी शानदार प्रदर्शन किया। फाइनल में आठवें स्थान पर क्वालीफाई करने वाली घोष ने 208.9 अंक बनाए और चौथे स्थान पर रही। क्वालिफाइंग दौर में मेहुली ने 630.3 अंक हासिल किए थे, जो उन्हें दसवें स्थान पर लाया था, लेकिन अन्य भारतीय निशानेबाज आर्या बोरसे (633.2) और सोनम मस्कर (630.5) के बेहतर प्रदर्शन के कारण मेहुली को केवल रैंकिंग अंकों के लिए फाइनल में मौका मिला।
ELAVENIL VALARIVAN IS ASIAN CHAMPION 🏆 pic.twitter.com/8FxRnQX7aD
— The Khel India (@TheKhelIndia) August 22, 2025
भारत का बढ़ता दबदबा
इलावेनिल के इस स्वर्ण पदक के साथ ही भारत ने इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता में सीनियर स्तर पर दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक हासिल कर अपनी ताकत का प्रमाण दिया है। इस चैंपियनशिप में भारत के जूनियर निशानेबाजों ने भी दमदार प्रदर्शन किया, जिससे देश पदक तालिका में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
पुरुषों और अन्य महिलाओं के प्रदर्शन
पुरुषों की स्कीट स्पर्धा में अनंतजीत सिंह नरुका ने भारत को पहला सीनियर स्वर्ण पदक दिलाकर राष्ट्रीय गौरव बढ़ाया। इसके अलावा, दो बार की ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। इससे भारतीय निशानेबाजी की गहराई और मजबूती का पता चलता है कि भारत हर वर्ग और स्पर्धा में लगातार सफलता हासिल कर रहा है।
भारत का नाम किया रोशन
इलावेनिल वालारिवन की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत कड़ी मेहनत और प्रतिभा का नतीजा है, बल्कि भारतीय निशानेबाजी की निरंतर प्रगति और वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति का संकेत भी है। देश के युवा निशानेबाजों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत है कि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकें और भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन कर सकें।