Pahalgam Attack: 5 दिन की रिमांड पर दो आरोपी, क्या ये लोग छिपा रहे हैं आतंकियों का राज?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ी कार्रवाई सामने आई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस हमले में शामिल दो आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 23 June 2025, 8:48 PM IST
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नई दिल्ली: कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ी कार्रवाई सामने आई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस हमले में शामिल दो आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अदालत ने बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर और हिल पार्क निवासी बशीर अहमद जोथर को पांच दिन की एनआईए रिमांड पर भेजा है। दोनों पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकियों को शरण देने का आरोप है।

तीन आतंकियों की पहचान उजागर

एनआईए अधिकारियों के अनुसार, इन दोनों ने पूछताछ में पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीन आतंकियों की पहचान उजागर की है। जांच में यह भी सामने आया कि हमले से पहले परवेज और बशीर ने आतंकियों को हिल पार्क स्थित एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में शरण दी थी। यहीं से तीनों आतंकी पहलगाम पहुंचे और 22 अप्रैल को हमला अंजाम दिया, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इस मामले में दोनों आरोपियों को जम्मू की एक अदालत में पेश किया गया, जहां अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितेश कुमार दुबे ने उन्हें 27 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया। वहीं, पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकी अभी भी फरार हैं। हालांकि उनकी पहचान कर ली गई है और उनके पोस्टर भी जारी किए जा चुके हैं। सुरक्षाबल इनकी तलाश में लगातार सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। साथ ही सरकार ने इन आतंकियों की सूचना देने वाले को 20 लाख रुपये का इनाम देने का एलान किया है, जिसमें सूचनाकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

इस हमले के बाद भारत ने कड़ा जवाब दिया। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के कई ठिकानों को तबाह कर दिया। इस कार्रवाई में आतंकवादी अजहर मसूद के कई रिश्तेदारों के मारे जाने की खबर है। पाकिस्तान की ओर से कुछ देर के लिए जवाबी कार्रवाई हुई, लेकिन भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद वह बैकफुट पर आ गया। यह हमला और उसके बाद की कार्रवाई एक बार फिर यह साबित करती है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।

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