

देशभर में जाति जनगणना की जोरदार वकालत कर रही कांग्रेस ने कर्नाटक की जातिगत और सामाजिक-शैक्षणिक जनगणना रिपोर्ट को लेकर बयान दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कर्नाटक सरकार ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली/बेंगलुरु: देशभर में जाति जनगणना की जोरदार वकालत कर रही कांग्रेस ने कर्नाटक की जातिगत और सामाजिक-शैक्षणिक जनगणना रिपोर्ट को लेकर बढ़ते विवाद को देखते हुए इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पार्टी ने राज्य में नई जाति पुनर्गणना कराने का फैसला किया है ताकि कुछ प्रभावशाली समुदायों लिंगायत और वोक्कालिग्गा की चिंताओं का समाधान किया जा सके।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली स्थित कांग्रेस के नए मुख्यालय 'इंदिरा भवन' में हुई एक अहम बैठक में लिया गया। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार मौजूद थे। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में न केवल जाति जनगणना बल्कि बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हालिया भगदड़ की भी समीक्षा की गई।
कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा कि 2015 में कराई गई जाति जनगणना को लेकर जनता के एक वर्ग में आशंकाएं हैं। इसलिए पार्टी ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि 60 से 80 दिनों के भीतर एक नई और पारदर्शी जाति जनगणना कराई जाए, ताकि सभी वर्गों को संतुष्ट किया जा सके और सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो।
बता दें कि सिद्दरमैया सरकार ने अप्रैल 2025 में 2015 की जाति गणना रिपोर्ट को सार्वजनिक किया था, लेकिन विपक्षी भाजपा और कई प्रमुख सामाजिक वर्गों ने इसे 'अवैज्ञानिक' और 'पूर्वग्रह से ग्रसित' बताया था। रिपोर्ट के विरोध में राज्य कैबिनेट की तीन बैठकों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल पाया, जिससे कांग्रेस नेतृत्व को यह रिपोर्ट फिलहाल संदूक में बंद करने की सलाह देनी पड़ी।
12 जून को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक* में इस फैसले को औपचारिक रूप से मंजूरी दी जाएगी।
इस बैठक में बेंगलुरु भगदड़ की घटना पर भी चर्चा हुई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई थी। बताया गया कि कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और डिप्टी सीएम शिवकुमार से घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के अनुसार, सिद्दरमैया ने खुद को इस घटना से अलग बताते हुए आयोजन की जिम्मेदारी सरकार की नहीं बताई और शिवकुमार की भूमिका पर इशारा किया।
राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि “कांग्रेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज मानवीय जीवन है। सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह रहना होगा।”
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