मां-बाप ने छोड़ा साथ तो खाटूश्याम को अपनाया, लोहे की जंजीरों से जकड़कर पहुंचा बाबा के दरबार

9 साल की उम्र में उसके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर उसे बेसहारा छोड़ दिया था। जिससे उसकी जिंदगी में एक गहरी घुटन और अकेलापन आ गया था। उस समय से ही बाबा श्याम उसकी जिंदगी में सहारा बने।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 17 July 2025, 9:50 AM IST
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Rajasthan News: 21 साल के केशव सक्सेना निवासी रामपुर ने अपने अद्वितीय श्रद्धा और समर्पण को प्रदर्शित करते हुए 12 लोहे की जंजीरों से अपने पूरे शरीर को जकड़कर 18 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा पूरी की और खाटूश्यामजी के दरबार में हाजिरी लगाई। यह उसकी दूसरी ऐसी यात्रा थी, जिसमें उसने 10 किलो वजनी जंजीरों से हाथ, पैर और कमर बांधकर 27 घंटे तक बिना कुछ खाए-पिए बाबा के दरबार में जाकर दर्शन किए।

12 साल से खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए यात्रा

केशव ने बताया कि वह पिछले 12 साल से लगातार खाटूश्यामजी के दर्शन करने के लिए आता रहा है। वह पहली बार 9 साल की उम्र में बाबा के दरबार गया था और तभी से वह बाबा श्याम का दीवाना हो गया। केशव का कहना है कि बाबा श्याम ने उसकी जिंदगी को दिशा दी है और उसने यह यात्रा बाबा के आशीर्वाद के लिए की है। केशव ने इस यात्रा के दौरान 10 किलो वजनी लोहे की जंजीरों को अपने शरीर से बांधकर 18 किलोमीटर की दूरी तय की है।

मंगलवार दोपहर शुरू की यात्रा

केशव ने अपनी यात्रा की शुरुआत सोमवार को नैनीताल से ट्रेन से की थी। मंगलवार दोपहर एक बजे रींगस के प्राचीन श्याम मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद उसने अपने शरीर को 12 लोहे की जंजीरों से बांध लिया और पदयात्रा की शुरुआत की। बुधवार सुबह लगभग 4 बजे केशव खाटूश्यामजी के मंदिर पहुंचा।

27 घंटे का समय लगा

रींगस से खाटूश्यामजी तक की 18 किलोमीटर की यात्रा में उसे 27 घंटे का समय लगा। इस कठिन यात्रा के दौरान उसने न तो कुछ खाया और न ही पिया। बावजूद इसके उसके कदम न थमें और उसका उत्साह लगातार बना रहा। मंदिर पहुंचने के बाद, उसने बाबा के दरबार में पूजा की और फिर जंजीरों को उतार दिया।

बाबा श्याम से मिलती है जीवन में दिशा

केशव ने बताया कि वह बहुत कम उम्र में ही जीवन के कठिन संघर्षों का सामना कर चुका है। 9 साल की उम्र में उसके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर उसे बेसहारा छोड़ दिया था। जिससे उसकी जिंदगी में एक गहरी घुटन और अकेलापन आ गया था। उस समय से ही बाबा श्याम उसकी जिंदगी में सहारा बने। केशव का मानना है कि बाबा श्याम की कृपा से ही वह आज एक अच्छा जीवन जी रहा है और अपनी मेहनत से अच्छा कमा रहा है।

क्या काम करता है केशव?

वह वर्तमान में नैनीताल के पास एक कस्बे में पानी की बोतल बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करता है। केशव का कहना है कि जब भी उसका मन करता है, वह बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच जाता है, क्योंकि उसे बाबा श्याम से असीमित आशीर्वाद और शांति मिलती है।

मांसाहार को लेकर बाबा से अरदास

केशव ने अपनी यात्रा के दौरान एक और महत्वपूर्ण प्रार्थना बाबा श्याम से की। उन्होंने बताया कि हाल ही में वह हल्द्वानी में कन्हैया मित्तल के भजन सुनने गए थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि लोग मांस खा रहे थे और लोहे के चाकू से मांस काटा जा रहा था। इस दृश्य ने उसे गहरे दुख में डाल दिया। इसके बाद केशव ने बाबा श्याम के दरबार में अपनी अरदास की और प्रार्थना की कि "भारत में मांसाहार बंद हो और जानवरों को काटने की प्रथा समाप्त हो।" इसके अलावा उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी यह अपील की है कि मांसाहार पर नियंत्रण लगाया जाए और देश में जानवरों की हत्या को रोका जाए। इस भावना के साथ केशव ने बाबा श्याम के दरबार में 12 लोहे की जंजीरों को बांधकर अपनी श्रद्धा अर्पित की।

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