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हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। मकर संक्रांति 2026 का पर्व कब है? जानिए पूजा विधि, गंगा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त, तिल-गुड़ का महत्व और मकर संक्रांति से जुड़ा आध्यात्मिक व ज्योतिषीय महत्व।
मकर संक्रांति 2026 (Img Source: Google)
New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मनाया जाता है और इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है। साल 2026 में मकर संक्रांति न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास मानी जा रही है।
साल 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास समाप्त होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुण्य काल में किया गया स्नान, दान और जप विशेष फलदायी माना जाता है।
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मकर संक्रांति के दिन पूजा और स्नान का विशेष महत्व होता है। सही विधि से पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि इस प्रकार है:
मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, गोदावरी और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है।
तिल का दान पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन करना परंपरा का हिस्सा है। तिल शुद्धता और गुड़ मिठास का प्रतीक माना जाता है। यह संदेश देता है कि जीवन में मधुरता और आपसी सौहार्द बनाए रखें।
इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं, जिसे सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक उन्नति का समय माना जाता है। कहा जाता है कि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाली आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण यह पर्व साधना, जप और ध्यान के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।