अरावली मामला: क्या है विवाद और क्यों बना सोशल मीडिया का मुद्दा? जानें सबकुछ

अरावली पर्वत शृंखला की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को ही पर्वत का हिस्सा मानने का फैसला किया है। इससे खनन गतिविधियों पर असर पड़ेगा और नई प्रबंधन योजना के तहत प्रतिबंधित और नियंत्रित खनन क्षेत्र तय होंगे। आईये जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 21 December 2025, 5:18 PM IST

Jaipur: अरावली की पहाड़ियां, जो विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत शृंखलाओं में शामिल हैं, आज फिर चर्चा में हैंहाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अरावली पर्वतों के संरक्षण और खनन को लेकर याचिका दायर की गईइसके बाद केंद्र सरकार ने अदालत में जवाब दाखिल किया, जिससे पूरे देश में अरावली शृंखला पर बहस तेज हो गईसोशल मीडिया पर 'सेव अरावली' अभियान भी जोर पकड़ने लगा है

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि विभिन्न राज्य और विशेषज्ञ समूह अरावली पर्वतों की पहचान के लिए अलग-अलग मानक लागू कर रहे हैंउदाहरण के लिए, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) ने 2010 में तय किया था कि केवल उन पहाड़ियों को अरावली माना जाएगा जिनकी ढलान 3 डिग्री से अधिक हो, ऊंचाई 100 मीटर से ऊपर हो और दो पहाड़ियों के बीच की दूरी कम से कम 500 मीटर होलेकिन कई ऊंची पहाड़ियां भी इस मानक में शामिल नहीं थीं

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सिर्फ इन्हीं पहाड़ियों को माना जाएगा अरावली का हिस्सा

इस विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय, एफएसआई, राज्यों के वन विभाग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और अपनी समिति के प्रतिनिधियों को लेकर एक नई समिति बनाईसमिति ने 2025 में कोर्ट को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कीइसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को फैसला सुनाया कि केवल 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को ही अरावली शृंखला का हिस्सा माना जाएगा

इस मामले में कोर्ट के एमिकस क्यूरी, के. परमेश्वर ने कहा कि 100 मीटर का मानक बहुत संकीर्ण है और इससे छोटी पहाड़ियां खनन के लिए खुल जाएंगीवहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने तर्क दिया कि एफएसआई के पुराने मानक बड़े हिस्से को पहाड़ियों की परिभाषा से बाहर कर देते हैं, इसलिए 100 मीटर का नया मानक बेहतर है

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अरावली पर्वतों के बनाई जाएगी विस्तृत प्रबंधन योजना

सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद आदेश दिया कि अरावली पर्वतों के लिए एक विस्तृत प्रबंधन योजना बनाई जाएयोजना में उन क्षेत्रों की पहचान होगी जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होगा और जहां सीमित या नियंत्रित खनन की अनुमति दी जा सकेगीयह कदम पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने के लिए अहम माना जा रहा है

अरावली पर्वत शृंखला पर यह विवादकेवल कानून और पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे जुड़ा 'सेव अरावली' अभियान भी आम जनता और सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने में सहायक बना हुआ है

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  • Jaipur

Published : 
  • 21 December 2025, 5:18 PM IST