

बिहार के पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी (लो) के प्रमुख पप्पू यादव ने अपनी जान को लेकर गंभीर आशंका जताई है। उन्होंने दावा किया है कि दो बड़े नेता और दो उच्च अधिकारी उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं।
पप्पू यादव
Patna: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, जब पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी (लो) के मुखर नेता पप्पू यादव ने अपनी सुरक्षा हटाए जाने को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया है कि राज्य के दो वरिष्ठ नेता और दो प्रभावशाली अधिकारी मिलकर उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं।
पप्पू यादव ने कहा कि उन्हें करीब एक महीने पहले Y+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई थी, लेकिन सिर्फ एक महीने के भीतर ही यह सुरक्षा वापस ले ली गई। उन्होंने इस फैसले को न केवल मनमाना और राजनीतिक दुर्भावनापूर्ण बताया, बल्कि इसे उनकी जान को खतरे में डालने वाला कदम भी कहा। पप्पू यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर मेरे साथ कुछ भी होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी बिहार के दो बड़े नेताओं और दो अधिकारियों की होगी। यह कोई साधारण प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि जानबूझकर रची गई साजिश का हिस्सा है।
पप्पू यादव
पप्पू यादव ने इस साजिश के केंद्र में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का नाम लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि संजय झा ने भाजपा नेता सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जदयू को बेच दिया है और नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति का सौदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जदयू में अंदरखाने जो चल रहा है, वह बिहार की राजनीति को विकृत कर रहा है।
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पप्पू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि मैं किसी भी कीमत पर भाजपा नेता को बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बनने दूंगा। यही बात संजय झा और उनके राजनीतिक आकाओं को खटक रही है। इसलिए मेरी जान का सौदा किया जा रहा है।
पप्पू यादव ने अपने बयान में दो टूक कहा कि उनके खिलाफ रची जा रही साजिश में राजनीति, प्रशासन और सत्ता का गठजोड़ है। उन्होंने दावा किया कि कुछ अधिकारी जानबूझकर उनकी सुरक्षा रिपोर्ट को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं ताकि उन्हें कमजोर किया जा सके। अगर मेरी हत्या होती है, तो उसका जिम्मेदार तंत्र होगा, जिसमें नेता और अफसर दोनों शामिल हैं।
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Y+ श्रेणी की सुरक्षा में आमतौर पर 11 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती होती है, जिनमें CRPF या CISF के कमांडो शामिल होते हैं। इस सुरक्षा को केवल गंभीर खतरे वाले नेताओं, मंत्रियों या जजों को दिया जाता है। एक महीने के भीतर सुरक्षा हटाया जाना असाधारण और असामान्य माना जा रहा है, खासकर तब जब सांसद स्वयं जान को खतरा होने की बात कह रहे हैं।