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Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस का ‘विनिंग फॉर्मूला’, सीमांचल की सीटों पर आरजेडी से टकराव संभव

कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। सीटों की संख्या नहीं, बल्कि जीतने योग्य सीटों पर फोकस कर रही है पार्टी। सीमांचल क्षेत्र और दलित-मुस्लिम समीकरण वाली सीटों पर कांग्रेस आरजेडी से कोई समझौता नहीं चाहती।
Post Published By: Poonam Rajput
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Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस का ‘विनिंग फॉर्मूला’, सीमांचल की सीटों पर आरजेडी से टकराव संभव

Patna/New Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। राहुल गांधी की हालिया ‘वोट अधिकार यात्रा’ के बाद कांग्रेस ने अब सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी लगभग तय कर लिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस बार संख्या की राजनीति में नहीं, बल्कि विजयी सीटों पर फोकस कर चुनाव लड़ेगी। दिल्ली में दो दिन चली बैठक में बिहार कांग्रेस नेताओं ने पार्टी हाईकमान राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को उन सीटों की सूची सौंपी है, जिन पर पार्टी को लड़ना है।

कांग्रेस की रणनीति

2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत सकी थी। हार की समीक्षा में सामने आया कि पार्टी को कई ऐसे क्षेत्र दिए गए थे जो भाजपा-जदयू का गढ़ थे और पिछली चार चुनावों में कांग्रेस वहां से नहीं जीत सकी थी। इस बार कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है। पार्टी इस बार 55 से 60 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार है, लेकिन वो सीटें तभी स्वीकारेगी जब वहां जीत की संभावना ज्यादा हो। यानी पार्टी को सीटों की संख्या से ज़्यादा क्वालिटी पर ध्यान देना है।

राहुल गांधी

सीमांचल पर कांग्रेस का दावा: “नो कंप्रोमाइज”

कांग्रेस ने इस बार सीमांचल क्षेत्र की 26 विधानसभा सीटों में से 16 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। पार्टी का कहना है कि इन सीटों पर उसका जनाधार मजबूत है और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इन क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिली थी। सीमांचल क्षेत्र में कांग्रेस के तीन सांसद तारिक अनवर (कटिहार), डॉ. मोहम्मद जावेद (किशनगंज), और पप्पू यादव (पूर्णिया) हैं। ये सभी नेता चाहते हैं कि कांग्रेस इन सीटों पर खुद चुनाव लड़े और आरजेडी या किसी अन्य दल के लिए सीटें खाली न छोड़े।

एम-डी समीकरण पर फोकस

कांग्रेस की रणनीति का दूसरा बड़ा आधार है एम-डी समीकरण, यानी मुस्लिम और दलित वोटर्स का समर्थन। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में लगभग 90 से अधिक सीटों पर ये वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। कांग्रेस ने उन क्षेत्रों की पहचान की है जहां दलित और मुस्लिम समुदायों की संख्या ज्यादा है और जहां कांग्रेस का परंपरागत प्रभाव भी रहा है। पार्टी ऐसे इलाकों में आरजेडी या अन्य सहयोगियों के साथ समझौता करने से बचना चाहती है।

आरजेडी के साथ तालमेल

भले ही कांग्रेस और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़ने जा रही हैं, लेकिन सीटों को लेकर टकराव की संभावना दिख रही है। खासकर सीमांचल और एम-डी समीकरण वाली सीटों पर कांग्रेस आरजेडी की दखल नहीं चाहती। कांग्रेस का मानना है कि 2020 में आरजेडी ने कांग्रेस को कमज़ोर सीटें देकर नुकसान पहुंचाया। इसलिए इस बार पार्टी वही गलती दोहराना नहीं चाहती। कांग्रेस अपने मौजूदा विधायकों की सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी दावा कर रही है जहां वह पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी।

 

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