

1952 में रूस की ज़मीन सिर्फ हिली नहीं थी — वो फट गई थी। समंदर ने शहरों को डुबो डाला, और लहरों ने ज़िंदगी को निगल लिया। अब जब फिर वही इलाका भूकंपों से कांप रहा है, क्या इतिहास खुद को दोहराने वाला है? क्या फिर से आएगा वो दिन जिसे दुनिया भूल नहीं पाई?
रूस का सबसे खतरनाक भूकंप (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: रूस में प्रकृति ने ऐसा तांडव मचाया कि पूरी दुनिया दहल गई। मंगलवार देर रात से लेकर बुधवार तड़के तक रूस के कुरील द्वीप समूह और उसके आसपास के इलाके लगातार भूकंप के झटकों से हिलते रहे। एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 30 बार धरती कांपी। सबसे शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता 8.8 मापी गई, जिससे न सिर्फ धरती फटी, बल्कि समंदर भी बिफर गया। इस खौफनाक झटके के बाद जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो और रूस के सेवेरो-कुरीलस्क में सुनामी की लहरें आ गईं।
रूस में अब तक रिकॉर्ड किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप 5 नवंबर 1952 को Severo‑Kurilsk भूकंप था, जिसकी तीव्रता लगभग magnitude 9.0 थी। इसने Kamchatka क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया और 18‑मीटर ऊँची सुनामी लहरों ने Severo‑Kurilsk समेत कई बस्तियों को तहस‑नहस कर दिया, जिससे 2,300 से अधिक लोग मारे गए इसके अलावा, 1841 में भी Kamchatka के निकट एक और महाबली भूकंप (≈9.0 या उससे अधिक) आया था, जिसने लगभग 15-मिटर ऊँची सुनामी उत्पन्न की थी
अगर एक देश जैसे रूस मे एक ही दिन में 30 बार भूकंप आए, तो अधिकांश कमजोर झटके (magnitude 4–5) होंगे, बड़ी तबाही नहीं होगी। लेकिन अगर इनमें से कुछ झटके magnitude 6–7+ के हों, तो धीरे-धीरे संरचनात्मक क्षति, इमारतों में दरारें, लोगों में डर‑भय, और मनोवैज्ञानिक तनाव बढ़ सकता है। सतत झटकों (aftershocks sequence) के चलते डुबने या मिटने जैसी स्थिति नहीं बनती, लेकिन गंभीर पैनिक और स्थानीय तोड़‑फोड़ हो सकती है।
रूस का पूर्वोत्तर क्षेत्र, विशेषकर Kamchatka और Kuril क्षेत्र, सलाईस्मिक रूप से अत्यंत सक्रिय है क्योंकि यह Pacific Ring of Fire पर आता है। हाल ही में जुलाई 20–22, 2025 वाले दिन Magnitude 7.4 का भूकंप आया फिर 6.8 तथा अन्य aftershocks दर्ज किए गए और 29 जुलाई 2025 को magnitude 8.8 वाला अत्यंत शक्तिशाली भूकंप आया, जिसने Pacific भर में tsunami warnings जारी करवा दीं—सुनामी की लहरें Hawaii, जापान, अलास्का आदि तक पहुंचीं इसका यह अर्थ नहीं है कि रूस जल्दी ही डूब जाएगा; लेकिन क्षेत्र भविष्य में, विशेष रूप से समुद्र के किनारे बसे इलाकों में, सुनामी और मजबूत aftershocks का जोखिम बना रहेगा।
सूत्रों के अनुसार, जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने जानकारी दी है कि 30 सेंटीमीटर ऊंची पहली सुनामी लहर नेमुरो तट से टकराई। स्थानीय गवर्नर वालेरी लिमारेंको ने बताया कि सेवेरो-कुरीलस्क की तटीय बस्ती में भी लहरें आईं, हालांकि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन एहतियात के तौर पर लोगों को ऊंचे इलाकों में पहुंचा दिया गया है।
सबसे चौंकाने वाली स्थिति सामने आई पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की से। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप के झटकों के बाद लोग घरों से बिना कपड़ों और चप्पलों के बाहर भागे। अलमारियाँ ज़मीन पर गिर गईं, खिड़कियाँ चकनाचूर हो गईं और कई वाहन सड़क पर पलट गए। कई इमारतें थरथराने लगीं और बिजली की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई। मोबाइल नेटवर्क भी जाम हो गया।
सखालिन द्वीप से भी आपातकालीन निकासी की खबरें आई हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। रेस्क्यू टीमें समुद्र किनारे बसे गांवों में तैनात की गई हैं और हेलीकॉप्टर की मदद से लगातार निगरानी की जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इतनी अधिक बार झटके आना एक बड़े भूगर्भीय तनाव का संकेत हो सकता है। कई विशेषज्ञों ने चेताया है कि आने वाले दिनों में एक और शक्तिशाली भूकंप या सुनामी का खतरा बना हुआ है। क्या रूस के इस हिस्से में भविष्य में कोई और भयंकर तबाही हो सकती है? क्या रूस का भूगोल ही बदलने वाला है? यह सवाल अब चिंता का विषय बन गया है।