

फतेहपुर पुलिस ने एक सुनियोजित ऑपरेशन में अलग-अलग थानों से छह वांछित अपराधियों को दबोच लिया। इन अभियुक्तों पर गंभीर आपराधिक धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो और दहेज उत्पीड़न जैसे मामलों में वारंट जारी था। आखिर कौन था वह आरोपी जो महीनों से पुलिस की पकड़ से बाहर था? पढ़िए पूरी कहानी…
वांछित और वारंटी अभियुक्त पुलसि की गिरफ्त में
Fatehpur: फतेहपुर जिले की पुलिस ने बीती रात अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए छह वांछित और वारंटी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। इन अभियुक्तों पर हत्या की कोशिश, चोरी, घरेलू हिंसा, पॉक्सो एक्ट और अन्य गंभीर अपराधों में मुकदमे दर्ज थे। यह कार्रवाई पुलिस की योजनाबद्ध रणनीति और सतर्कता का नतीजा मानी जा रही है।
सबसे बड़ी गिरफ्तारी सुल्तानपुर घोष थाना क्षेत्र से सामने आई, जहां 35 वर्षीय विनोद मौर्य को उसके गांव इरादतपुर धर्मगंदपुर से गिरफ्तार किया गया। उसके खिलाफ मुकदमा संख्या 137/2025 दर्ज है। उस पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64(1), 137(1), 352, 351(3) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 भी लगाई गई है, जो एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
गिरफ्तारी टीम में थाना प्रभारी तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में एसआई दिलीप कुमार, आनंद वर्मा, कांस्टेबल संदीप राजभर और रणवीर सिंह शामिल थे। विनोद मौर्य को न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इसी कड़ी में किशनपुर थाना पुलिस ने तीन वारंटी आरोपियों को गिरफ्तार कर अपने इलाके में अपराधियों पर शिकंजा कसा।
पहला आरोपी झल्लर (उम्र 45 वर्ष), पिता मोतीलाल, केस संख्या 782/96 में वांछित था। उस पर धारा 457/380 के तहत चोरी और ताला तोड़ने का आरोप है।
दूसरा आरोपी सती कुमार (उम्र 28 वर्ष), निवासी लोधौरा गांव, धारा 498A, 323, 506, 342 भादवि और 3/4 डीपी एक्ट में वांछित था। ये मामला घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है।
तीसरा आरोपी कल्लू पासी, पुत्र बाबादीन पासी, निवासी बरैची गांव, पर केस संख्या 635/03, धारा 216 (अपराधियों को शरण देना) के तहत मुकदमा चल रहा था।
इन गिरफ्तारियों को अंजाम देने में वरिष्ठ उपनिरीक्षक इंद्रपाल सिंह, एसआई आदर्श सिंह, जगदीश प्रसाद मिश्र, जितेंद्र दुबे, श्याम नारायण पांडेय, और कांस्टेबल शिवशंकर ने अहम भूमिका निभाई।
फतेहपुर पुलिस की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश गया है कि चाहे सालों पुराने केस हों या ताजा मामले—अब कानून से भागना आसान नहीं।
इन सभी अपराधियों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इस अभियान ने न केवल वांछितों को सलाखों के पीछे पहुंचाया, बल्कि जनता में कानून व्यवस्था पर भरोसा भी मज़बूत किया है।
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