

S&P ग्लोबल फिनलिट के सर्वे के मुताबिक, भारत में सिर्फ 24% लोग ही फाइनेंशियल लिटरेसी रखते हैं। यानी ज्यादातर लोग पैसे कमाने के बाद भी उसे सही ढंग से खर्च या सेव नहीं कर पाते। सैलरी बढ़ने के बावजूद बचत नहीं हो पाना आज एक आम समस्या बन गई है। जानिए इसके पीछे के कारण और इससे निपटने के तरीके।
सैलरी बढ़ने के बावजूद सेविंग क्यों नहीं हो पाती?
New Delhi: S&P ग्लोबल फिनलिट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में केवल 24% लोगों को वित्तीय शिक्षा यानी पैसों की समझ है। इसका मतलब है कि अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि बजट कैसे बनाएं, सेविंग कहां और कैसे करें, या कर्ज से कैसे बचें। यही वजह है कि लोग अक्सर आर्थिक गलतियां करते हैं, जैसे बिना प्लानिंग के खर्च करना, इमरजेंसी फंड न रखना या जरूरत से ज्यादा कर्ज ले लेना।
सेविंग न होने का सबसे बड़ा कारण?
सैलरी बढ़ने के बावजूद सेविंग क्यों नहीं हो पाती, इसका मुख्य कारण है लाइफस्टाइल इंफ्लेशन। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती है, खर्च भी उसी अनुपात में बढ़ जाते हैं। लोग सोचते हैं कि अब ज्यादा पैसा आ रहा है, तो महंगे फोन, बाहर खाना, ब्रांडेड कपड़े और लग्जरी शौक पूरे किए जा सकते हैं। धीरे-धीरे ये चीजें आदत बन जाती हैं और ज़रूरत लगने लगती हैं। नतीजा ये होता है कि सेविंग के लिए कुछ बचता ही नहीं।
कमाई के साथ बढ़ती आदतें, नहीं जरूरतें
सैलरी बढ़ने के बाद जरूरी नहीं कि आपकी आवश्यकताएं बढ़ी हों। असल में बदलती हैं इच्छाएं और खर्च करने की आदतें। लोग अपने पुराने बजट को छोड़कर नए खर्चों को “जरूरत” का नाम दे देते हैं। लेकिन अगर खर्चों पर लगाम न लगाई जाए, तो चाहे आमदनी कितनी भी हो, सेविंग नहीं हो पाएगी और आर्थिक तनाव बना रहेगा।
कैसे करें खर्चों पर नियंत्रण?
1. हर महीने बजट बनाएं- सबसे पहले यह तय करें कि आपकी इनकम कितनी है और कहां-कहां खर्च हो रहा है।
2. फिजूलखर्ची पहचानें- बाहर खाना, ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन, बेवजह की शॉपिंग जैसी चीजों को लिस्ट करें और कम करें।
3. खर्च ट्रैक करें- मोबाइल ऐप या डायरी की मदद से हर खर्च का रिकॉर्ड रखें।
50:30:20 का स्मार्ट मनी फॉर्मूला
अपने पैसों को समझदारी से मैनेज करने के लिए 50:30:20 रूल बहुत उपयोगी है।
• 50% खर्च करें जरूरतों पर- जैसे किराया, राशन, बिल और बच्चों की फीस।
• 30% खर्च करें इच्छाओं पर- जैसे फिल्म, आउटिंग, शॉपिंग और मनोरंजन।
• 20% सेविंग और निवेश के लिए रखें- SIP, PPF, FD जैसे विकल्प चुनें।
यह तरीका आपकी जरूरत और शौक दोनों को बैलेंस करता है और सेविंग की आदत डालता है।
सेविंग की शुरुआत छोटी रकम से करें
सेविंग की आदत डालने के लिए शुरुआत छोटी रकम से करें। याद रखें:
"पहले सेविंग करें, फिर खर्च करें- न कि खर्च के बाद बचा पैसा सेव करें।"
आप 1000 या 2000 रुपए से SIP शुरू कर सकते हैं, PPF, RD या FD जैसे सुरक्षित विकल्प चुन सकते हैं। सबसे जरूरी बात सेविंग को आदत बनाएं, आदर्श नहीं।
शादीशुदा लोगों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के टिप्स
शादी के बाद पैसे की जिम्मेदारी अकेले की नहीं रहती। पति-पत्नी दोनों को मिलकर योजना बनानी होती है।
• दोनों की इनकम और खर्चों में पारदर्शिता रखें।
• हर महीने साथ बैठकर बजट बनाएं।
• सेविंग का टारगेट तय करें, जैसे हर महीने ₹10,000 सेव करना।
• बच्चों की पढ़ाई, इमरजेंसी और रिटायरमेंट जैसे फाइनेंशियल गोल्स के लिए अलग-अलग सेविंग प्लान बनाएं।
अगर दोनों पार्टनर कमा रहे हैं, तो खर्चों का बंटवारा करें- जैसे एक EMI भरे और दूसरा रोजमर्रा के खर्च संभाले। साथ ही, SIP या FD जैसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट एक साथ शुरू करें।
लाइफस्टाइल इंफ्लेशन से कैसे बचें?
• सैलरी बढ़े तो पहले सेविंग बढ़ाएं, न कि खर्च।
• नई कमाई का एक हिस्सा सीधे सेविंग में डालें।
• स्मार्ट खरीदारी करें, ऑफर्स और डिस्काउंट का सही इस्तेमाल करें।
• इमोशनल खर्च से बचें, यानी मूड के अनुसार खर्च करने से बचें।
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