New Delhi: जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता मिली है। सुबह 28 जुलाई को सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव के तहत लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर और पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह को दाचीगाम के जंगलों में एक सटीक और योजनाबद्ध एनकाउंटर में मार गिराया। मूसा लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की हिट लिस्ट में था और उसके सिर पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
सूत्रों के अनुसार, मूसा न केवल पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता था, बल्कि सोनमर्ग टनल अटैक में भी उसकी अहम भूमिका थी। ऑपरेशन महादेव को अब तक का सबसे सफल और रणनीतिक मिशन बताया जा रहा है, जिससे घाटी में दहशत फैलाने वाले नेटवर्क को भारी झटका लगा है।
कौन था हाशिम मूसा?
मूसा पाकिस्तान की सेना का पूर्व पैरा कमांडो बताया गया है। सेना छोड़ने के बाद उसने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़कर घाटी में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया था। वह अत्याधुनिक हथियारों का प्रशिक्षित उपयोगकर्ता था और TRF (The Resistance Front) के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रहा था। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, मूसा घाटी के युवाओं को भड़काने, शरण देने, और आतंकी हमलों की प्लानिंग में अहम भूमिका निभा रहा था।
ऑपरेशन की रणनीति और सफलता
सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया जानकारी मिली थी कि मूसा दाचीगाम के जंगलों में छिपा है। विशेष बलों ने इलाके को चारों ओर से घेर लिया और सटीक लोकेशन ट्रैक कर उसे मुठभेड़ में मार गिराया गया। एनकाउंटर के दौरान उसके पास से हथियार, गोला-बारूद और रणनीतिक दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।
प्रशासन की सतर्कता
ऑपरेशन के बाद पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन जारी है और आम नागरिकों से इलाके से दूर रहने और अफवाहों से बचने की अपील की गई है। स्थानीय प्रशासन और सेना ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है। सुरक्षा बलों की मौजूदगी को और मजबूत किया गया है।
बड़ी कामयाबी या शुरुआत?
मूसा की मौत को आतंक के खिलाफ एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि अभी भी घाटी में स्लीपर सेल्स और छिपे हुए नेटवर्क सक्रिय हो सकते हैं। ऑपरेशन महादेव ने आतंक के खिलाफ चल रही जंग को एक नया मोड़ जरूर दे दिया है।

