Srinagar/New Delhi: 28 जुलाई 2025, सावन का तीसरा सोमवार भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष दिन। लेकिन इसी दिन भारतीय सेना ने भी अपने अंदाज़ में शिव का “तीसरा नेत्र” खोल दिया। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के लिडवास इलाके में भारतीय सेना ने ऑपरेशन महादेव के तहत तीन खूंखार आतंकियों को ढेर कर दिया। ये आतंकी 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के गुनहगार थे, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी।
क्यों रखा गया ऑपरेशन का नाम “महादेव”?
सावन का तीसरा सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथाओं में जब शिव अत्यंत क्रोधित होते हैं, तो उनका तीसरा नेत्र खुलता है, जो बुराई का अंत करता है। सेना ने इस ऑपरेशन को कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान और अमरनाथ यात्रा की रक्षा से जोड़ा है। यही वजह है कि इसे “महादेव” नाम दिया गया, मानो शिव ने खुद आतंकियों के अंत का आदेश दिया हो।
ऑपरेशन कैसे शुरू हुआ?
11 जुलाई को बाइसरन क्षेत्र में एक चीनी सैटेलाइट फोन एक्टिव हुआ। यह वही इलाका था जहां पहलगाम हमले की योजना बनी थी। इस फोन के जरिए सेना को आतंकी गतिविधियों का अंदेशा हुआ। सेना, CRPF और J&K पुलिस ने मिलकर इलाके को घेर लिया। स्थानीय खानाबदोशों (गुर्जर-बकरवाल समुदाय) से भी जानकारी मिली कि अजनबी लोग टेंट में रुके हैं और हरकतें संदिग्ध हैं।
सुबह के वक्त सैनिकों ने जंगल के बीच एक टेंट देखा, जहां आतंकी सो रहे थे। यह उनकी सामान्य रणनीति होती है – दिन में छिपना और रात में मूवमेंट करना। सेना ने बिना देर किए चुपचाप हमला किया। आतंकियों को संभलने का मौका नहीं मिला और वे मौके पर ही ढेर हो गए।
मारे गए आतंकी कौन थे?
तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और TRF से जुड़े हुए थे। मुख्य सरगना की पहचान हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह के सहयोगियों के रूप में की गई है। इनकी तलाश एनआईए और RAW दोनों को थी। इस सफलता के बाद क्षेत्र में सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। सेना ने साफ किया कि आतंक के खिलाफ कार्रवाई रुकने वाली नहीं। अमरनाथ यात्रा और आम नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

