रामलीला पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर: फिरोजाबाद में हाईकोर्ट की हटाई रोक, समारोह को मिली हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने फिरोजाबाद के स्कूल मैदान में आयोजित रामलीला पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को हटा दिया है। अब रामलीला समारोह पूर्ववत जारी रह सकेगा, लेकिन इससे छात्रों की पढ़ाई या स्कूल की गतिविधियों में कोई बाधा न आए।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 25 September 2025, 12:36 PM IST
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New Delhi: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के टूंडला क्षेत्र में एक स्कूल मैदान में आयोजित हो रही पारंपरिक रामलीला पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब रामलीला समारोह पूर्ववत जारी रह सकेगा, बशर्ते इससे छात्रों की पढ़ाई या स्कूल की गतिविधियों में कोई बाधा न आए।

क्या है फिरोजाबाद में रामलीला का मामला?

दरअसल, यह मामला तब उठा जब एक याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा कि रामलीला के आयोजन से विद्यालय की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और बच्चों को खेलकूद के मैदान से वंचित होना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए रामलीला पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी।

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हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ‘श्री नगर रामलीला महोत्सव’ समिति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उन्हें हाईकोर्ट की कार्यवाही में पक्षकार नहीं बनाया गया और उनका पक्ष सुने बिना रोक का आदेश दे दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि स्कूल के मैदान में रामलीला का आयोजन इस शर्त पर जारी रह सकता है कि यह छात्रों की पढ़ाई और स्कूल की कार्यप्रणाली को प्रभावित न करे।

 ऐतिहासिक परंपरा को मिली राहत

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “अगर यह आयोजन पिछले 100 वर्षों से चल रहा है, तो अब अचानक इसमें आपत्ति क्यों जताई जा रही है? याचिकाकर्ता न तो छात्र हैं, न ही अभिभावक और न ही ज़मीन के मालिक। फिर भी उन्होंने याचिका दाखिल कर दी। क्या उन्हें पहले प्रशासन से बात नहीं करनी चाहिए थी?”

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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश आयोजन को स्थायी अनुमति देने जैसा नहीं है, बल्कि यह फिलहाल चल रहे उत्सव को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने जिला प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए वैकल्पिक स्थलों की पहचान करें ताकि स्कूल परिसर की मूल शिक्षा गतिविधियाँ प्रभावित न हों।
हाईकोर्ट का रुख और सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी

हाईकोर्ट ने आदेश में क्या कहा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्कूल के मैदान पर सीमेंट की इंटरलॉकिंग टाइलें लगाई जा रही हैं और मैदान को स्थायी रूप से रामलीला आयोजन स्थल में बदला जा रहा है, जो कि अस्वीकार्य है। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया था कि आयोजन के लिए अनुमति किसने दी और क्यों स्कूल के मुख्य द्वार को 'सीता राम द्वार' में बदला गया।

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि मैदान में जलभराव की समस्या थी, इसलिए टाइलें लगाई गईं और रामलीला सिर्फ शाम 7 से 10 बजे तक होती है, जिससे कक्षाएं प्रभावित नहीं होतीं।

इस पूरे मामले ने धार्मिक आयोजन और सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था के बीच संतुलन को लेकर नई बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला धार्मिक परंपराओं के सम्मान और सामाजिक सामंजस्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि सार्वजनिक स्थलों का उपयोग किसी समुदाय विशेष के स्थायी उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। अब रामलीला तो जारी रहेगी, लेकिन न्यायालय की यह चेतावनी भी प्रशासन और आयोजकों के लिए एक संकेत है कि परंपरा और कानून में संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है।

 

 

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 25 September 2025, 12:36 PM IST