19 साल पीछे पहुंचा नोएडा: आखिर कौन है 16 बच्चों की मौत का गुनहगार, निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

आज 19 साल बाद निठारी कांड एक रहस्य बन गया है। देश की जनता आज भी उस सवाल का जवाब चाहती है- “16 मासूम बच्चों को किसने मारा?” अगर कोली और पंढेर निर्दोष हैं तो क्या कातिल आज भी हमारे बीच खुला घूम रहा है? इस केस ने सिर्फ 16 परिवारों को नहीं तोड़ा, बल्कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में लोगों के विश्वास को भी झकझोर दिया है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 31 July 2025, 1:05 AM IST
google-preferred

Noida News: देश के सबसे सनसनीखेज आपराधिक मामलों में शामिल निठारी कांड अब न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है। एक समय था जब नोएडा के निठारी गांव में एक के बाद एक बच्चों के शवों के अवशेष मिलने से पूरा देश सन्न रह गया था। तब मोनिंदर सिंह पंढेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली को इस नरसंहार का मुख्य आरोपी बनाया गया। फांसी की सजा तक सुनाई गई। लेकिन दो दशकों के अंदर कहानी पूरी तरह पलट गई।

अब न तो पंढेर जेल में है और न ही कोली के खिलाफ मजबूत केस बचा है। सवाल यह है कि अगर ये दोनों निर्दोष हैं, तो फिर निठारी के मासूम बच्चों की हत्या किसने की?

जब निठारी का नाला बना नरसंहार का गवाह

वर्ष 2006 नोएडा के पॉश सेक्टर-31 में स्थित डी-5 कोठी के पास के नाले से एक-एक कर बच्चों के कंकाल बरामद होने लगे। कुल 16 बच्चों के शवों के अवशेष मिलने से पूरे देश में हड़कंप मच गया। आरोप सीधे कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर लगे। कोली पर आरोप लगे कि वह बच्चों को बहला-फुसलाकर कोठी के भीतर लाता, फिर उनका यौन शोषण कर बेरहमी से हत्या करता और शवों के टुकड़े करके नाले या कोठी के पीछे जमीन में गाड़ देता।

फांसी की सजा और फिर कोर्ट से 'क्लीनचिट'

सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर गाजियाबाद की विशेष अदालत ने कोली को 12 मामलों में फांसी और पंढेर को दो मामलों में मौत की सजा सुनाई। लेकिन साल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक झटका देते हुए कहा कि साक्ष्य के अभाव में अभियोजन पक्ष दोष सिद्ध करने में असफल रहा। इसके साथ ही पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया गया। साथ में और कोली भी एक-एक करके 11 मामलों में बरी हो चुका है, वह अब सिर्फ एक केस (रिंपा हलधर) में उम्रकैद की सजा काट रहा है, जिसकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

निठारी केस क्यों ढह गया? जांच में क्या थी खामियां?

निठारी कांड को लेकर जांच एजेंसियों, विशेष रूप से पुलिस और सीबीआई पर कई सवाल खड़े हुए फॉरेंसिक सबूत नहीं मिले। डी-5 कोठी से न तो खून के निशान मिले, न ही हत्या के हथियार। कोली के कबूलनामे की कोई कानूनी वैधता नहीं उसका वीडियो बयान कोर्ट में पेश ही नहीं हुआ। उस पर दस्तखत भी नहीं थे। डीएनए जांच नहीं करवाई गई, किसी शव की पहचान डीएनए से पुष्टि नहीं की गई। अंग तस्करी एंगल की अनदेखी, कोर्ट ने कहा कि ऑर्गन ट्रैफिकिंग की दिशा में कभी गंभीर जांच नहीं की गई, जबकि पंढेर पहले से किडनी स्कैम में नामजद था।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा- 'संदेह से परे अपराध सिद्ध नहीं हुआ'

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए साफ किया कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित करने में असफल रहा। सबसे गंभीर टिप्पणी यह रही कि जांच एजेंसियों ने "आपराधिक प्रक्रिया के बुनियादी सिद्धांतों तक का पालन नहीं किया"।

निठारी कांड में सुरेंद्र कोली की भूमिका पर कई सवाल उठे हैं

  1. उसकी कानूनी सहायता पूरी नहीं थी।
  2. पुलिस रिमांड में लंबे समय तक रखा गया।
  3. मेडिकल और मानसिक जांच अधूरी रही।
  4. धीरे-धीरे पूरा दोष केवल कोली पर डाल दिया गया, जबकि पंढेर को क्लीनचिट मिलती गई।

सबूत नहीं, फिर भी फांसी क्यों?

यह सवाल गंभीर है कि जब न हत्या का हथियार मिला, न कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह, न ही कोई वैध कबूलनामा या डीएनए प्रमाण, तब आखिर कोर्ट ने पहले मौत की सजा क्यों सुनाई? हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से यह साफ हुआ कि शुरुआती जांच और ट्रायल में भारी लापरवाही हुई।

तो असली गुनहगार कौन है?

अब सबसे डरावना सवाल यही है- जब पंढेर बाहर है, कोली लगभग बरी हो चुका है, तब उन 16 बच्चों की हत्या किसने की? क्या जांच एजेंसियों ने केवल गरीब नौकर को बलि का बकरा बनाया और असली अपराधी को सजग रूप से बचाया गया? क्या ऑर्गन ट्रैफिकिंग के पीछे कोई बड़ा गैंग था, जिसकी राजनीतिक या प्रशासनिक पकड़ ने उसे बचा लिया?

एक केस, दो फैसले: व्यवस्था पर उठे सवाल

गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के परस्पर विरोधी फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर दिए। जब एक अदालत फांसी देती है और दूसरी पूरी तरह बरी तो यह दर्शाता है कि हमारी जांच और अभियोजन प्रणाली में कितनी खामियां हैं।

एक अनसुलझा रहस्य बनकर रह गया निठारी कांड

आज 19 साल बाद निठारी कांड एक रहस्य बन गया है। देश की जनता आज भी उस सवाल का जवाब चाहती है- "16 मासूम बच्चों को किसने मारा?" अगर कोली और पंढेर निर्दोष हैं तो क्या कातिल आज भी हमारे बीच खुला घूम रहा है? इस केस ने सिर्फ 16 परिवारों को नहीं तोड़ा, बल्कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में लोगों के विश्वास को भी झकझोर दिया है।

Location : 
  • Noida

Published : 
  • 31 July 2025, 1:05 AM IST