कन्नड़ साहित्य के स्तंभ कुवेम्पू को भारत रत्न देने की सिफारिश, जानिए कैबिनेट का ऐतिहासिक निर्णय

कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रकवि कुवेम्पू को भारत रत्न से सम्मानित करने की सिफारिश की है। कुवेम्पू ने कन्नड़ साहित्य को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और सामाजिक चेतना को जागृत किया। कैबिनेट बैठक में पारित इस प्रस्ताव को पूरे राज्य से समर्थन मिल रहा है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 11 September 2025, 7:00 PM IST

Bengaluru: कर्नाटक सरकार ने राज्य के गौरव और राष्ट्रकवि कुवेम्पू को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है। यह प्रस्ताव हाल ही में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया। सरकार का कहना है कि कुवेम्पू का साहित्य, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण में योगदान इतना व्यापक और अमूल्य है कि उन्हें भारत रत्न से नवाजना समय की मांग है।

राष्ट्रकवि कुवेम्पू को भारत रत्न सम्मान देने की मांग

कुवेम्पू का असली नाम कुप्पल्ली वेंकटप्पा पुट्टप्पा था। उनका जन्म 29 दिसंबर 1904 को शिवमोग्गा ज़िले के कुप्पल्ली गांव में हुआ था। वे आधुनिक कन्नड़ साहित्य के सबसे प्रख्यात लेखक और कवि माने जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ कन्नड़ भाषा को समृद्ध किया, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिलाई।

उनकी साहित्यिक कृतियों में रामायण दर्शनम, मालेगाळु, कन्याडाना और श्रीरामायण दर्शनम जैसी रचनाएं शामिल हैं, जो न सिर्फ कन्नड़ साहित्य बल्कि भारतीय साहित्य की धरोहर हैं। 'श्रीरामायण दर्शनम' के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था। वे कन्नड़ भाषा के पहले लेखक थे जिन्हें यह सम्मान मिला।

साहित्य के स्तंभ कुवेम्पू को भारत रत्न देने की सिफारिश

कुवेम्पू का साहित्य केवल काव्यात्मक सौंदर्य तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद, अस्पृश्यता और रूढ़ियों के खिलाफ खुलकर लिखा। उनकी लेखनी ने लोगों में सामाजिक जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया। वे ‘विश्वमानवता’ (Universal Humanism) के प्रबल समर्थक थे और इस विचारधारा को उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से जनमानस तक पहुँचाया।

कुवेम्पू सिर्फ एक साहित्यकार नहीं, बल्कि एक युगद्रष्टा

कर्नाटक सरकार के इस निर्णय को राज्य भर में सराहा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'कुवेम्पू सिर्फ एक साहित्यकार नहीं, बल्कि एक युगद्रष्टा थे। उनका योगदान इतना विशाल है कि भारत रत्न के लिए वे पूर्णतः योग्य हैं। हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि इस दिशा में शीघ्र सकारात्मक निर्णय लिया जाए।'

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ज्ञात हो कि कुवेम्पू को पहले ही 'राष्ट्रीय कवि', पद्म भूषण, कर्नाटक रत्न, और राज्योत्सव पुरस्कार जैसे कई बड़े सम्मान मिल चुके हैं। लेकिन साहित्य, संस्कृति और शिक्षा में उनके जीवनपर्यंत योगदान को देखते हुए अब उन्हें भारत रत्न देने की मांग जोर पकड़ रही है।

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राज्य सरकार का यह कदम कन्नड़ साहित्यप्रेमियों और सांस्कृतिक संगठनों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है। अगर केंद्र सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है तो कुवेम्पू, भारत रत्न पाने वाले पहले कन्नड़ साहित्यकार बन सकते हैं।

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  • Bengaluru

Published : 
  • 11 September 2025, 7:00 PM IST