

भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ को अब टाइप-8 बंगला आवंटित किया जाएगा। इस्तीफे के पीछे कारणों को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। जिसमें से एक सवाल ये है कि अब उपराष्ट्रपति कहां रहेंगे और क्या नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है।
क्या खाली होगा जगदीप धनखड़ को सरकारी आवास (सोर्स-गूगल)
New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए दिया गया यह इस्तीफा अब नए कयासों और सवालों को जन्म दे रहा है। इस्तीफा देने के बाद अब ये सवाल उठ रहा है कि अब कहां रहेंगे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। इसके बाद अब सरकार की ओर से उन्हें टाइप-8 सरकारी बंगला आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
क्या है टाइप-8 बंगला?
टाइप-8 श्रेणी के बंगले देश के विशिष्ट और उच्च पदों पर रहे लोगों को आवंटित किए जाते हैं। इनमें वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, राष्ट्रीय पार्टियों के प्रमुख और संवैधानिक पदों से निवृत्त अधिकारी शामिल होते हैं। ये बंगले दिल्ली के वीआईपी क्षेत्रों, खासकर लुटियंस जोन में स्थित होते हैं, जहां सुरक्षा और सुविधाएं उच्चतम स्तर की होती हैं।
अब उपराष्ट्रपति एन्क्लेव छोड़ना होगा
धनखड़ पिछले वर्ष अप्रैल में नवनिर्मित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में शिफ्ट हुए थे, जो चर्च रोड पर संसद भवन परिसर के पास स्थित है। यह एन्क्लेव सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाया गया था। इस्तीफे के बाद अब उन्हें यह सरकारी आवास खाली करना होगा।
अब कहां रहेंगे जगदीप धनखड़ (सोर्स-गूगल)
इस्तीफे पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
हालांकि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद छोड़ा, लेकिन विपक्ष इसे केवल 'ऊपरी वजह' मान रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि इस्तीफे के पीछे 'गंभीर राजनीतिक कारण' हो सकते हैं, जिन्हें अभी तक उजागर नहीं किया गया है। हालांकि इस पर आधिकारिक तौर पर सरकार की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
कोई औपचारिक विदाई नहीं
जानकारी के अनुसार, धनखड़ के लिए कोई विशेष विदाई समारोह या भाषण आयोजित नहीं किया गया। मंगलवार को राज्यसभा में भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने सदन को राष्ट्रपति की ओर से इस्तीफा स्वीकार किए जाने की सूचना दी।
अब क्या होगा?
संविधान के अनुच्छेद 67A के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति पद रिक्त होता है, तो 'जितना शीघ्र हो सके' नए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करनी होती है। हालांकि कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि संसद के दोनों सदनों के सदस्य जल्द ही गुप्त मतदान प्रणाली के जरिए नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। चुने गए व्यक्ति का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्षों का होगा।