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भारतीय वायुसेना 13-20 नवंबर तक पूर्वोत्तर भारत में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास करेगी। सुखोई-30, राफेल और तेजस जैसे लड़ाकू विमान शामिल होंगे। पश्चिमी सीमा पर भी ऑपरेशन त्रिशूल 2025 जारी है। यह अभ्यास भारत की सीमाओं की सुरक्षा और सामरिक क्षमता दिखाता है।
भारतीय वायुसेना की तैयारी
New Delhi: भारतीय वायुसेना (IAF) 13 नवंबर से 20 नवंबर तक पूर्वोत्तर भारत में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास करने जा रही है। यह अभ्यास भारत की चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से सटी संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में आयोजित होगा। इस अभ्यास में सुखोई-30 एमकेआई, राफेल, मिराज-2000, तेजस और जगुआर जैसे प्रमुख लड़ाकू विमान भाग लेंगे। इसके अलावा, एयर डिफेंस सिस्टम और यूनिफाइड डिफेंस सिस्टम भी शामिल होंगे।
Defence Professionals की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने इस दौरान नागरिक उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया है। इसका मतलब है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई एयरस्पेस जोन में नागरिक उड़ानों के मार्ग में परिवर्तन या सीमित संचालन रहेगा। यह सैन्य अभ्यास सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना की क्षमता और तत्परता को परखने के लिए किया जा रहा है। इसमें वायु और थल बलों के बीच संयुक्त प्रतिक्रिया अभ्यास, साथ ही साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम की दक्षता का आकलन भी शामिल है।
यह अभ्यास ऐसे समय में किया जा रहा है जब बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार और भारत के बीच संबंधों में तनाव के संकेत दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में पूर्वोत्तर भारत का गलत नक्शा साझा किया था।
IAF का ग्रैंड सैन्य अभ्यास
उन्होंने चीन को बांग्लादेश के साथ संवाद के लिए आमंत्रित किया और सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) को लेकर रणनीतिक चुनौती पेश की। इसी कारण, पूर्वोत्तर में यह अभ्यास केवल रक्षा तैयारियों का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक संदेश भी देता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा में किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करेगा।
पूर्वोत्तर अभ्यास के साथ ही पश्चिमी सीमा पर भी ऑपरेशन त्रिशूल 2025 चल रहा है। यह अभ्यास 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक गुजरात और राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित किया गया। मुख्य फोकस क्षेत्र कच्छ और सर क्रीक है, जहां भारत-पाकिस्तान सीमा पर कई बार तनाव पैदा हुआ है। इस अभ्यास में भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त संचालन और युद्ध-समन्वय की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस अभ्यास में टी-90 टैंक, प्रचंड हेलीकॉप्टर, आकाश मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, राफेल और सुखोई-30 एमकेआई जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा सी गार्जियन और हेरॉन ड्रोन से निगरानी रखी गई और कोलकाता व नीलगिरी श्रेणी के युद्धपोत पश्चिमी तट पर तैनात किए गए। ऑपरेशन त्रिशूल 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सबसे बड़ी सैन्य गतिविधि माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त कार्रवाई की क्षमता को नई ऊंचाई देना है।
यह अभ्यास न केवल भारतीय सेना की तत्परता और मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए भारत की सुरक्षा नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
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