31 दिसंबर को देशभर में लाखों गिग वर्कर्स हड़ताल पर हैं, जिससे Swiggy, Zomato, Blinkit, Amazon जैसी डिलीवरी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। बेहतर वेतन, सुरक्षा, सामाजिक संरक्षण और 10-मिनट डिलीवरी मॉडल के विरोध में यह आंदोलन किया जा रहा है। न्यू ईयर ईव पर इस हड़ताल ने आम लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं।

हड़ताल पर गिग वर्कर्स (Img- Google)
New Delhi: नए साल 2026 की शुरुआत कल से होने जा रही है। इससे ठीक पहले, 31 दिसंबर को भारत के लाखों गिग वर्कर्स राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल का सीधा असर Swiggy, Zomato, Blinkit, Zepto, Amazon और Flipkart जैसे बड़े ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म्स पर पड़ा है। डिलीवरी पार्टनर्स ने सामूहिक रूप से अपने ऐप ऑफ रखने का फैसला किया है, जिससे फूड और ग्रॉसरी सेवाओं में भारी अव्यवस्था देखी जा रही है।
इस देशव्यापी हड़ताल का नेतृत्व Indian Federation of App-Based Transport Workers (IFAT) कर रही है। इसके साथ कई राज्यों की गिग वर्कर्स यूनियन भी जुड़ी हुई हैं। यूनियनों का कहना है कि यह हड़ताल अचानक नहीं, बल्कि लंबे समय से अनसुनी मांगों का नतीजा है।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों में गिग वर्कर्स शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगहों पर वर्कर्स ने सड़कों पर उतरने के बजाय केवल ऐप से लॉग-आउट रहकर विरोध जताया है, ताकि किसी तरह की अव्यवस्था या टकराव न हो।
गिग वर्कर्स का कहना है कि वे बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर सम्मान की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्लेटफॉर्म कंपनियां लगातार भुगतान दरें घटा रही हैं, जबकि ईंधन, मेंटेनेंस और जीवनयापन का खर्च बढ़ता जा रहा है।
वर्कर्स के अनुसार 10-20 मिनट में डिलीवरी का दबाव खतरनाक है। इससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है और मानसिक तनाव भी गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। देरी की पूरी जिम्मेदारी डिलीवरी एजेंट पर डाल दी जाती है, चाहे कारण कुछ भी हो।
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यूनियनों ने आरोप लगाया है कि प्लेटफॉर्म कंपनियां एल्गोरिदम के जरिए मनमाने ढंग से ID ब्लॉक कर देती हैं। बिना स्पष्ट कारण अकाउंट बंद होने से हजारों वर्कर्स की रोज़ी-रोटी एक झटके में छिन जाती है।
गिग वर्कर्स का कहना है कि इंसेंटिव पाने के नियम बार-बार बदले जाते हैं। पहले जहां सीमित समय में बोनस मिल जाता था, अब 10-12 घंटे काम करने के बाद भी इंसेंटिव मिलना मुश्किल हो गया है।
Swiggy के कुछ विज्ञापनों में 31 दिसंबर और 1 जनवरी को काम करके “6000 रुपये कमाने” जैसे दावे किए गए हैं। गिग वर्कर संगठनों का कहना है कि ये विज्ञापन जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं और जनता को भ्रमित करते हैं।
भारत की महिला नेतृत्व वाली Gig and Platform Services Workers Union (GIPSWU) ने श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यूनियन चाहती है कि गिग वर्कर्स के मुद्दों को औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत त्रिपक्षीय वार्ता से सुलझाया जाए।
IFAT के राष्ट्रीय महासचिव शेख सलाउद्दीन ने कहा कि यह हड़ताल सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि गिग वर्कर्स के जीवन, सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई है। अगर समस्याएं नहीं सुलझीं, तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।