

संसद के मानसून सत्र में बुधवार का दिन हंगामेदार रहा। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन अहम विधेयक पेश किए, जिनका उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी या हिरासत की स्थिति में पद से हटाने का कानूनी प्रावधान करना है। इन विधेयकों के लोकसभा में पेश होते ही विपक्ष ने जोरदार विरोध जताया और भारी हंगामा किया।
संसद (फोटो सोर्स गूगल)
New Delhi: संसद के मानसून सत्र में बुधवार का दिन हंगामेदार रहा। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन अहम विधेयक पेश किए, जिनका उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी या हिरासत की स्थिति में पद से हटाने का कानूनी प्रावधान करना है। इन विधेयकों के लोकसभा में पेश होते ही विपक्ष ने जोरदार विरोध जताया और भारी हंगामा किया।
गृहमंत्री ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को सदन में पेश किया। विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को लेकर नाराजगी जाहिर की और इसे सत्ता पक्ष का राजनीतिक हथियार बताया। हंगामे के बीच विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी फाड़कर गृहमंत्री की ओर फेंकी, जिससे सदन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा है। सपा सांसद राम गोपाल यादव ने तीखा बयान देते हुए कहा, "सरकार झूठे आरोप लगाकर नेताओं को जेल भेज रही है। यह विधेयक विपक्षी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को निशाना बनाने का नया तरीका है। लोकतांत्रिक मानदंड अब केवल कागजों में बचे हैं।"
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने भी गृहमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा, "जब अमित शाह खुद गिरफ्तार हुए थे, तो क्या उन्होंने नैतिकता दिखाई थी?" इस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, "मेरे ऊपर जब आरोप लगे, तो मैंने नैतिकता के आधार पर खुद इस्तीफा दिया और जब तक कोर्ट से निर्दोष सिद्ध नहीं हुआ, कोई संवैधानिक पद नहीं लिया।"
उधर, गृहमंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की सिफारिश की। लेकिन विपक्ष इस प्रक्रिया से भी संतुष्ट नहीं दिखा और लगातार विरोध करता रहा। इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन गेमिंग विधेयक, 2025 भी लोकसभा में पेश किया, जिसे कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
राज्यसभा की कार्यवाही भी शांत नहीं रही। विपक्ष के हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। दोनों सदनों में बिहार SIR घोटाले और विधेयकों को लेकर विपक्ष का आक्रोश जारी रहा। संसद के इस सत्र में केंद्र सरकार जहां कानूनी और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाने की कोशिश में है, वहीं विपक्ष इन प्रयासों को अलोकतांत्रिक करार देकर लगातार विरोध कर रहा है। आने वाले दिनों में यह टकराव और तेज़ होने की संभावना है।
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