हाईजैकर्स के निशाने पर एअर इंडिया फ्लाइट! यात्री ने कॉकपिट के दरवाज़े को पासकोड डालकर खोला, मचा हडकंप

बेंगलुरु से वाराणसी जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट में एक यात्री ने कॉकपिट के दरवाजे को पासकोड डाल कर खोलने की कोशिश की, कप्तान ने हाइजैक की आशंका जताते हुए दरवाज़ा नहीं खोला। यह व्यक्ति और उसके 8 साथियों को वाराणसी पहुंचने पर CISF के हवाले कर दिया गया।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 22 September 2025, 3:49 PM IST
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Varanasi: बेंगलुरु से वाराणसी की ओर उड़ान भर रही एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट IX 1086 में एक अजीब घटना हुई जिसने यात्रियों और एयरलाइन सुरक्षा अधिकारियों दोनों को चौंका दिया। उड़ान भरने के बाद कुछ ही समय में एक यात्री कॉकपिट के दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगा। उसके पास दरवाज़ा खोलने का सही पासकोड भी था, लेकिन बेहद जरूरी सुरक्षा कारणों से कप्तान ने उसे दरवाजे को खोलने की अनुमति नहीं दी।

जानें कब हुई घटना

• विमान सुबह लगभग 8 बजे बेंगलुरु से उड़ान भर कर वाराणसी को रवाना हुआ।
• उड़ान के कुछ समय बाद, उस यात्री ने टॉयलेट की तलाश में कहा कि वह कॉकपिट के प्रवेश क्षेत्र (cockpit door vestibule) के पास गया।
• उसने कोबिन गेट (cockpit door) खोलने के लिए पासकोड डाला।

एअर इंडिया फ्लाइट

एयर इंडिया की प्रतिक्रिया

एयर इंडिया ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया को बताया कि इस प्रकार की घटनाएं संज्ञान में आते ही कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि हमें इस मामले की जानकारी मीडिया रिपोर्टों से मिली है। एक यात्री टॉयलेट खोजते हुए कॉकपिट के प्रवेश क्षेत्र में पहुंच गया। विमान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और किसी भी तरह की कोई चूक नहीं हुई। लैंडिंग के समय अधिकारियों को मामले की सूचना दी गई थी और फिलहाल इसकी जांच चल रही है।

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मुख्य सवाल और चिंताएं

1. पासकोड कैसे मिला?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि उस यात्री को कॉकपिट पासकोड कैसे पता था। इस प्रकार का कोड आमतौर पर बहुत सीमित हस्तियों और पायलट / सह-पायलट और वरिष्ठ सुरक्षा कर्मचारियों तक ही सीमित होता है।

2. कॉकपिट गेट की सुरक्षा प्रोटोकॉल
विमानन सुरक्षा की अंतरराष्ट्रीय मानक व्यवस्था में कॉकपिट के दरवाजे को मजबूत लॉक सिस्टम से सुरक्षित रखा जाता है। आमतौर पर अगर कोई गलत पासकोड डालता है, तो दरवाजे नहीं खुलते और एक अलर्ट कप्तान को तुरंत जाता है। इस घटना ने यह संकेत दिया कि या तो सिस्टम में कोई अति-विशेष परिस्थिति हुई या कोड का प्रयोग जानबूझकर किया गया।

3. पायलट का फैसला और सुरक्षा दृष्टिकोण
कि कप्तान ने दरवाजा नहीं खोला, वह सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। हाइजैक की आशंका होने पर ऐसा करना प्रोटोकॉल के अनुरूप है। यदि दरवाजा खुल जाता, तो चालक दल और यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मँडला सकता था।

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हिरासत में लिए गए 9 पैसेंजर

वाराणसी पहुंचने पर विमान में मौजूद नौ यात्रियों को CISF अधिकारियों को सौंप दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि ये सभी कौन हैं और कॉकपिट पासकोड कैसे उनके पास पहुंचा।

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