

7 अक्टूबर को हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की लाश संदिग्ध हालात में मिली। 12 अक्टूबर तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मामला रहस्य बना हुआ है। परिवार ने CBI जांच की मांग की है। यह केस कई प्रशासनिक और राजनीतिक सवाल खड़े कर रहा है।
हरियाणा IPS सुसाइड केस
Chandigarh/New Delhi: 7 अक्टूबर को मिली लाश और 12 अक्टूबर तक कोई इंसाफ नहीं.. पीछे रह गए कई सवाल। आज की इस खास रिपोर्ट में हम बताने वाले हैं हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार मामले में अब तक के 5 बड़े अपडेट, जिसने राज्य में हड़कंप तो मचाया साथ ही कई अनगिनत सवाल खड़े कर दिए हैं।
हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। 2001 बैच के इस अधिकारी का शव 7 अक्टूबर को उनके चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास से बरामद हुआ था। कमरे से एक 8 पेज का सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और करियर बर्बाद करने की साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाए। पूरन कुमार ने नोट में 16 अधिकारियों के नाम लिखे, इनमें 15 पर आरोप लगाए गए जबकि एक अधिकारी की ईमानदारी की तारीफ की गई।
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मृतक अधिकारी की पत्नी अमनीत पी कुमार, जो खुद हरियाणा कैडर की IAS अधिकारी हैं, ने पति की मौत को “साजिशन आत्महत्या” बताया है। उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस को दी शिकायत में DGP शत्रुजीत कपूर, रोहतक SP नरेंद्र बिजारनिया समेत कई अधिकारियों पर आत्महत्या के लिए उकसाने और SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की है। अमनीत का आरोप है कि FIR में सही धाराएं नहीं जोड़ी गईं और कई आरोपियों के नाम जानबूझकर छोड़े गए हैं। उन्होंने मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी या अदालत की निगरानी में कराए जाने की मांग की है।
फाइल फोटो (फोटो स्रोत: गूगल)
पूरन कुमार के शव का पोस्टमॉर्टेम अब तक नहीं हो सका है। परिवार ने स्पष्ट कहा है कि जब तक नामजद अफसरों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। परिजनों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना उनकी अनुमति के शव को PGIMER भेज दिया। उनका कहना है कि अधिकारी को लंबे समय से जातिगत टिप्पणी और सीनियरों के दबाव का सामना करना पड़ रहा था, जिसकी शिकायतें उन्होंने कई बार सरकार तक पहुंचाई थीं, लेकिन कोई सुनवाई की गई।
मामले में नाम आने के बाद रोहतक SP नरेंद्र बिजारनिया को हटा दिया गया है। सरकार ने सुरिंदर सिंह भोरिया को नया SP नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बयान दिया कि “चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, अगर किसी ने गलत किया है तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा।” वहीं DGP स्तर के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिन पर सुसाइड नोट में गंभीर आरोप लगे हैं।
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चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। टीम का नेतृत्व IG रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। SIT ने रोहतक पुलिस से एफआईआर, दस्तावेज और आरोपी अधिकारियों से जुड़े रिकार्ड तलब किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, SIT को यह भी जांचना है कि क्या पूरन कुमार ने सुसाइड से पहले किसी अधिकारी से बातचीत की थी या किसी तरह का दबाव बनाया गया था।
FIR में SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(v) जोड़ी गई है, जिसके तहत अगर जातिगत आधार पर किसी व्यक्ति को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है, तो आरोपी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह जोड़ना दिखाता है कि पुलिस अब मामले को “साधारण आत्महत्या” नहीं बल्कि “सोची-समझी साजिश” के रूप में देख रही है।
इस मामले ने हरियाणा से लेकर दिल्ली तक सियासी तापमान बढ़ा दिया है। विपक्षी दलों और दलित संगठनों ने इसे जातिगत उत्पीड़न का प्रतीक बताया है। कई संगठनों ने मांग की है कि जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जाए। सोशल मीडिया पर #JusticeForIPSKumar ट्रेंड कर रहा है। वहीं छात्र संगठनों ने चंडीगढ़ और रोहतक में प्रदर्शन किए हैं।
पूरन कुमार की मौत ने सिस्टम के भीतर मौजूद जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न की परतें खोल दी हैं। सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है, पर सवाल अभी बाकी हैं क्या दोषी वाकई सजा तक पहुंचेंगे या मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा? SIT की रिपोर्ट इस पूरे घटनाक्रम का रुख तय करेगी। फिलहाल, हरियाणा पुलिस का यह सुसाइड केस प्रशासनिक सिस्टम पर गहरे सवाल खड़े कर रहा है।