

मोतिहारी में सोशल मीडिया के जरिए नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवाओं को फंसाने वाले ठगी गिरोह का खुलासा। पुलिस ने ट्रेनिंग सेंटर पर छापा मारकर 90 युवकों को रेस्क्यू किया, 11 आरोपी गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार।
इन युवाओं का पुलिस ने बचाया भविष्य
Motihari: जिले में रविवार को पुलिस ने एक बड़े नेटवर्किंग मार्केटिंग ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया, जो सोशल मीडिया के जरिए बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर आर्थिक शोषण कर रहा था। इस गिरोह के कथित ट्रेनिंग सेंटर पर छापेमारी करते हुए 90 युवकों को रेस्क्यू कराया गया, जबकि मौके से 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
कैसे करते थे ठगी?
जानकारी के अनुसार गिरोह ने मोतिहारी नेशनल हाइवे स्थित चीनी मिल मार्ग पर एक बहुमंजिला इमारत में नेटवर्किंग मार्केटिंग कंपनी के नाम पर ट्रेनिंग सेंटर खोला था। यहां फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर झूठे नौकरी के विज्ञापन देकर युवाओं को फंसाया जाता था। युवाओं को अच्छी नौकरी, मोटी सैलरी और भविष्य में प्रमोशन का सपना दिखाकर 25,000 रुपये की फीस जमा कराई जाती थी।
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पीड़ित को आरोपी बनाने की साजिश
पैसे जमा करने के बाद युवाओं को एक पैंट, शर्ट और टाई का किट थमा दिया जाता था, जिसे बेचने को कहा जाता था। शर्त यह थी कि अगर वे इन सामानों को बेचकर अपनी "सेल्स काबिलियत" साबित करें, तभी उन्हें कंपनी में नौकरी दी जाएगी। इसके अलावा, युवाओं पर दबाव डाला जाता था कि वे कम से कम तीन और लोगों को इस स्कीम में शामिल करें, ताकि उनका चयन "परमानेंट" किया जा सके।
पुलिस ने हासिल की बड़ी कामयाबी
इस मामले की जानकारी मिलते ही साइबर डीएसपी अभिनव पराशर, सदर एसडीपीओ दिलीप सिंह और छतौनी थाना पुलिस की संयुक्त टीम ने योजना बनाकर छापा मारा। यह करीब आठ घंटे तक चलने वाला ऑपरेशन था, जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। पुलिस ने कार्रवाई के दौरान बिहार, असम, झारखंड और बंगाल से आए युवाओं को मुक्त कराया, जो इस गिरोह के शिकार हो चुके थे।
गिरोह का मास्टरमाइंड फरार
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जब टीम ने छापेमारी की, तब गिरोह का मास्टरमाइंड मौके से फरार होने में सफल रहा। वहीं, गिरोह द्वारा संचालित कथित "प्रधान कार्यालय" को भी तुरंत बंद कर दिया गया। अब पुलिस मास्टरमाइंड की तलाश में संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही है।
क्या बोले अधिकारी
एसडीपीओ दिलीप सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को आकर्षित कर उन्हें फर्जी नौकरी का झांसा दिया जा रहा था। युवकों से पैसे लेकर उन्हें किट बेचना और दूसरों को फंसाने का दबाव बनाया जाता था। हमने बड़ी कार्रवाई करते हुए 90 युवकों को रेस्क्यू किया है।
पीड़ित युवाओं की आपबीती
रेस्क्यू किए गए कई युवाओं ने पुलिस को बताया कि वे नौकरी की तलाश में इस नेटवर्क में आ गए थे। उनसे लगातार पैसे मांगे जाते थे और मानसिक रूप से दबाव बनाया जाता था कि वे अपने जान-पहचान के लोगों को भी इसमें शामिल करें। कई युवकों ने बताया कि उनके पैसे भी वापस नहीं किए गए और उन्हें धमकियां दी जा रही थीं।