

बेंगलुरु भगदड़ का मामला पहुंचा हाईकोर्ट। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
कर्नाटक हाई, बेंगलुरु भगदड़
बेंगलुरु: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की जीत के जश्न में मची भगदड़ के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई चल रही है। सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और कर्नाटक क्रिकेट बोर्ड पर लापरवाही का आरोप है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की बेंच ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया है कि वे पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत रिपोर्ट 10 जून को अगली सुनवाई के दौरान पेश करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जवाबदेही तय करना आवश्यक है। साथ ही RCB खिलाड़ियों, CM, डिप्टी सीएम के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट दर्ज की जाएगी।
कोर्ट में सरकार का पक्ष
कर्नाटक सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि घायलों को त्वरित इलाज उपलब्ध कराया गया और भीड़ नियंत्रित करने के लिए 1380 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी।
सरकार की ओर से पेश किए गए बयान में कहा गया कि इतनी बड़ी संख्या में जुटे लोगों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, लेकिन अप्रत्याशित भीड़ के कारण स्थिति बेकाबू हो गई। राज्य सरकार ने दावा किया कि घायलों को प्राथमिकता के आधार पर अस्पतालों में पहुंचाकर इलाज शुरू किया गया।
हादसा क्यों हुआ?
फ्री पास सिस्टम बना सबसे बड़ा कारण
आरसीबी ने अपने फैंस के लिए स्टेडियम में फ्री एंट्री पास की घोषणा की थी, जिन्हें टीम की वेबसाइट से डाउनलोड करना था। बुधवार को जैसे ही यह घोषणा हुई, वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के कारण साइट क्रैश हो गई। बहुत से लोग पास नहीं ले सके, फिर भी वे स्टेडियम पहुंच गए।
अनुमान से कहीं ज़्यादा भीड़ जुटी
आयोजन में लगभग 50,000 लोगों के लिए व्यवस्था की गई थी, लेकिन अचानक 2 से 3 लाख लोग स्टेडियम के बाहर जमा हो गए। आयोजकों और पुलिस को इस अप्रत्याशित भीड़ का अंदाज़ा नहीं था।
गेट तोड़ने की कोशिश और लाठीचार्ज
शुरुआती जांच के मुताबिक, पास वाले और बिना पास वाले लोग गेट नंबर 10, 12 और 13 पर धक्का-मुक्की करने लगे। जबरन घुसने की कोशिश के चलते पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसी दौरान नाले पर रखा एक स्लैब ढह गया, जिससे कई लोग उसमें गिर गए।
बारिश और गेट बंद होने से बढ़ी अफरा-तफरी
दोपहर करीब 3:30 बजे हल्की बारिश शुरू हो गई और भीड़ और अधिक बेकाबू हो गई। पुलिस ने सभी गेट बंद कर दिए ताकि और लोग अंदर न जा सकें। इससे पास वालों में भी नाराजगी फैल गई और भगदड़ मच गई। गेट नंबर 10 पर स्थिति सबसे ज्यादा बिगड़ी।
महिलाएं और बच्चे बने शिकार
जैसे ही भीड़ ने गेट को तोड़ने की कोशिश की, पुलिस ने पीछे धकेलना शुरू किया। इसमें महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा चपेट में आए। कुछ महिलाएं बेहोश होकर गिर गईं और उन्हें समय पर मेडिकल सहायता नहीं मिल पाई।
प्रशासन का क्या कहना है?
सरकार ने बयान जारी कर कहा कि आयोजन के लिए लगभग 5,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हालात काबू में नहीं आ सके। सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई पुलिसकर्मी 36 घंटे से लगातार ड्यूटी पर थे, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हुई।